Food For Poor People: समाज बदलने के लिए क्या चाहिए? सिर्फ एक कोशिश, एक नेक इरादा और बदलाव लाने की जिद्द. कुछ ऐसी ही जिद्द लिए दिल्ली के दो भाई देश को बड़ा संदेश दे रहे हैं. ये संदेश छोटी सी कोशिश से बड़ा बदलाव लाने का है, सेवाभाव को और आगे बढ़ाने का है. ये दोनों भाई दिल्ली के करीब 23 लाख गरीबों के लिए उम्मीद की किरण बन गए हैं. ये हर किसी के लिए बहुत ज्यादा सस्ते दाम में खाना मुहैया करा रहे हैं.
5 रुपये में भरपेट भोजन, पैसे ना भी हों तब भी खाना मिलेगा
ये सिर्फ सेवा भाव नहीं है बल्कि लाखों बेघरों के लिए जीने का सहारा है. कोई भी आए, किसी भी हाल में हो, कोई भेदभाव नहीं किया जाता, यह लोग किसी को खाली पेट वापस नहीं लौटते, सभी को खाना दिया जाता है. मकसद सिर्फ एक है, इंसानियत को बढ़ाना और जरूरतमंदों की सेवा करना. इन दोनों भाइयों की रसोई दिल्ली के पीतमपुरा में चलती है.
सेवा रसोई पर रोज सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 12 बाजे तक 800 से 1000 लोगों का खाना बनता है. दोपहर साढे बारह से ढाई बचे तक गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाना दिया जाता है. एक प्लेट की कीमत महज पांच रुपये है, वो भी अगर किसी के पास ना हों तो भी खाली पेट नहीं लौटने दिया जाता, फ्री में भोजन दिया जाता है.
अशोक अरोड़ा चला रहे हैं समाज बदलने वाली मुहिम
पेशे से प्रॉपर्टी बिल्डर अशोक अरोड़ा की सेवा रसोई फाउंडेशन 11 जून 2021 से गरीब, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों का पेट भर रही है. ये अशोक अरोड़ा का सेवा भाव ही है कि हजारों लोगों का पेट भर पाता है. 2020 में कोरोना संकट के वक्त जरूरतमंदों की मदद के लिए अशोक अरोड़ा और उनके साथियों ने ई-रिक्शा से गरीब और बेघर लोगों को लंगर बांटना शुरू किया था. उनकी मुहिम रंग लाई तो जून 2021 से उन्होंने सेवा रसोई शुरू कर दी. सेवा रसोई फाउंडेशन सिर्फ पीतमपुरा के रानीबाग में ही नहीं, बल्कि शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन के पास भी इसी तरह की मुहिम चला रहा है. शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन के पास रोज शाम 6 से 8 बजे के बीच करीब 300 बेघर लोगों को भरपेट खाना खिलाते हैं.
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