Trending News: ईश्वर हर किसी को एक जैसा बनाकर भेजता है, लेकिन इंसान को अपनी किस्मत खुल ही लिखनी होती है, अपने रास्ते खुद ही बनाने होते हैं. जो अपनी परेशानियों के लिए अपनी तकदीर या ईश्वर को दोष देते रहते हैं, वो दुनिया में ऐसे ही आते हैं और ऐसे ही चले जाते हैं. लेकिन जिन में कुछ करने का जुनून होता है वह ईश्वर को दोषी नहीं ठहराते बल्कि अपनी तकदीर खुद बनाते हैं. ऐसा की कुछ कर दिखाया है पटना की रहने वाली ज्योति ने.


आज ज्योति बड़े-बड़ों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं. आज ज्योति की उम्र 19 वर्ष हो चुकी है, लेकिन उसकी आंखें पटना रेलवे स्टेशन पर ही खुली थीं. अनाथ ज्योति को जिस दंपत्ति ने पाला वह भीख मांगकर अपना गुजारा करते थे. उन्हें देखकर ज्योति भी भीख मांगने लगी. जिस दिन भीख कम मिलती उस दिन कचरा बीनने में लग जाती. जिंदगी ऐसी ही गुजर रही थी. जैसे-जैसे ज्योति बड़ी हो रही थी, उसी दौरान उसके मन में आसपास के लोगों को देखकर पढ़ने की इच्छा जागने लगी. लेकिन बेचारी ज्योति के मां-बाप के पास इतने पैसे कहां थे जो वह स्कूल जा पाती.


धीरे-धीरे बचपन हाथ से जाता रहा, लेकिन पढ़ने की लालसा उसके जेहन से कम नहीं हुई. वह कुछ करने की सोच ही रही थी कि तभी उसके सिर से उसके मां-बाप का साया उठ गया और ज्योति अनाथ हो गई. ज्योति की जिंदगी में फिर से अंधेरा छाने लगा. लेकिन वो कहते हैं न जिसके इरादे मजबूत होते हैं, उसका कायनात भी साथ देती है. पटना जिला प्रशासन ज्योति की जिंदगी में कुछ उम्मीद लेकर आया.


रेंबो फाउंडेशन ने दिये ज्योति की उम्मीदों को नए पंख
 प्रशासन ने ज्योति के पालन पोषण का जिम्मा स्वयंसेवी संस्था रेंबो फाउंडेशन को दे दिया. रेंबो फाउंडेशन की बिहार प्रमुख विशाखा कुमारी बताती है कि पटना में पांच सेंटर हैं, जिसमें ऐसे गरीब, अनाथ लड़के, लड़कियों को रखा जाता है और उन्हें शिक्षित कर आगे बढ़ाया जाता है. ज्योति के इस फाउंडेशन से जुड़ने के बाद उसके सभी सपनों को मानो पंख लग गए.


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लगन और ईमानदारी देखकर मिला कैफेटेरिया चलाने का काम
यहां रहकर ज्योति ने पढ़ाई शुरू की और हाई स्कूल की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की. इसके बाद उसकी प्रतिभा को देखते हुए उपेंद्र महारथी संस्थान में पेंटिंग का प्रशिक्षण भी मिल गया और वह पेंटिंग सीख गई. हालांकि, ज्योति को इससे संतुष्टि नहीं हुई, उसे केवल यहीं नहीं रुकना था. काम के प्रति उसके जुनून और लगन को देखते हुए एक कंपनी ने उसे अपना कैफेटेरिया चलाने का काम दे दिया और इसके बाद तो जैसे ज्योति की किस्मत ही बदल गई. आज ज्योति अकेले कैफेटेरिया चलाती हैं और समय निकालकर पढ़ाई भी करती हैं.


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मार्केटिंग में करियर बनाना चाहती हैं ज्योति
यही नहीं आज ज्योति इतनी समर्थ हैं कि किराए के मकान में रहती हैं. उनका सपना मार्केटिंग के क्षेत्र में करियर बनाने का है और अपने सपने को साकार करने के लिए ज्योति मुक्त विद्यालय से आगे की पढ़ाई कर रही हैं. आज ज्योति कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं. ज्योति कहती हैं कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.