नई दिल्ली: कृष्णा कोहली पाकिस्तान में सीनेटर बनने वाली पहली हिंदू दलित महिला हैं. साल 2018 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की ओर से सिंध क्षेत्र से उन्होंने चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. हालांकि बहुत कम लोग हैं जो कृष्णा कोहली के बारे में ज्यादा जानकारी रखते हैं. वहीं कृष्णा की जिंदगी लोगों को काफी प्रेरणा देने वाली है. कृष्णा एक ऐसे माहौल से आती हैं, जहां पढ़ाई-लिखाई का चलन नहीं था. हालांकि इसके बावजूद कृष्णा आज एक ऐसे मुकाम पर हैं, जिसे हासिल करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है.
दरअसल, कोहली जनजाति से कृष्णा ताल्लुक रखती हैं. यह एक ऐसी जनजाति है, जहां महिलाओं और युवा लड़कियों को शायद ही कभी प्राथमिक स्कूली शिक्षा मिलती हो. ऐसे में इस जनजाति से सांसद बनना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि होती है. ऐसा कारनामा कृष्णा कोहली ने कर दिखाया था और साल 2018 में पाकिस्तान में सीनेटर चुनी गई थीं.
बंधुआ मजदूरी की
कृष्णा का जन्म 1979 में हुआ था और वह पाकिस्तान के सबसे बड़े रेगिस्तान थारपारकर से ताल्लुक रखती हैं, जहां की महिलाएं खुद को बहुत पसंद करती हैं. यहां की महिलाएं 300 फीट गहरे कुएं से पानी निकालती हैं. वहीं कृष्णा को बचपन में एक स्थानीय जमींदार के खेतों पर बंधुआ मजदूरी में झोंक दिया गया था.
मास्टर डिग्री हासिल की
कृष्णा के मुताबिक, 'हमारे पास बिजली नहीं थी इसलिए मैं एक तेल की लालटेन की रोशनी में अध्ययन करती थी.' जब वह 9वीं कक्षा में थी, तभी शादी हो गई. हालांकि ये कृष्णा का सौभाग्य ही था कि उसके पति ने उसे आगे की शिक्षा हासिल करने में उसकी मदद की. कृष्णा ने समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की.
वहीं कृष्णा ने कार्यस्थल पर उत्पीड़न, लिंग आधारित हिंसा और बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाया. एक सीनेटर के रूप में वह अब उन कानूनों को लागू करना चाहती हैं जो महिला सशक्तिकरण के लिए तैयार किए गए हैं.
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