तलाकशुदा पति-पत्नी बच्चों की कस्टडी के लिए लड़ रहे थे, जज का फैसला- करा दो शादी
लाहौर हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा दंपती को बच्चों की कस्टडी के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि वे दोनो कानूनी लड़ाई लड़ने की बजाय अपनी बेटी की शादी जल्द से जल्द करें.
लाहौर: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की लाहौर हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा दंपती को बच्चों की कस्टडी के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि वे दोनों कानूनी लड़ाई लड़ने की बजाय अपनी बेटी की शादी जल्द से जल्द करें. लाहौर हाईकोर्ट के जज फारूक हैदर ने लड़की के पिता को एक अलग घर की व्यवस्था करने के भी आदेश दिये हैं, जहां लड़की और उसका भाई रहेंगे और तलाकशुदा दंपती वहां जाकर उनसे मिल सकते हैं.
तलाकशुदा महिला ने दायर की थी याचिका
रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर हाईकोर्ट में एक तलाकशुदा महिला ने याचिका दायर की थी और अपील की थी कि उसे उसके बच्चों की कस्टडी दी जाए, क्योंकि उसके दोनों बच्चे अपने पिता और सौतेली मां के साथ खुश नहीं है. तलाक के बाद इस दंपती ने दूसरी शादी कर ली थी.
याचिकाकर्ता के वकील के सुझावों से सहमत हुए जज
मामले में आदेश देने से पहले न्यायमूर्ती ने अपनी पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील से पूछा था कि वो किस कानून के आधार पर एक युवा लड़की को “गैर मेहरम” के साथ रहने के लिए भेज सकते हैं, जिससे उसकी मां ने शादी की थी. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में दलील पेश करते हुए कहा था कि, क्योंकि लड़की की शादी के वक्त कई सामाजिक सवाल खड़े हो सकते हैं, इसलिए प्रतिवादी अपने दोनों बच्चों की खातिर एक अलग घर की व्यवस्था कर दे, जहां जाकर तलाकशुदा दंपती अपने बच्चों से मिल भी सकते हैं. जिसके बाद मामले की सुनवाई कर रहे जज फारूक हैदर ने याचिकाकर्ता के वकील के सुझावों की सराहना की और सहमति भी दे दी.
लड़की ने कोर्ट में आत्महत्या की बात कही थी
इस मामले में अंतिम सुनवाई शुक्रवार को हुई. वहीं जज के फैसला सुनाने से पहले लड़की ने कोर्ट में रोते हुए कहा, “यदि अदालत मुझे मेरी मां के साथ रहने की अनुमति नहीं देगा तो मैं आत्महत्या करने को मजबूर हो जाऊंगी, लड़की ने कहा कि वह काफी दिनों से तनावग्रस्त है और उसकी सौतेली मां उसके साथ बुरा व्यवहार करती है.”
जज ने याचिका का निपटारा किया
रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति फारूक हैदर ने लड़की के पिता से कहा, “ मुकदमेबाजी से छुटकारा पाओ. यह लड़की के भविष्य की खातिर अच्छा नहीं है. वह आपकी बेटी है. उसकी देखभाल करिए, क्योंकि भगवान आपसे उसके बारे में सवाल जरूर पूछेंगें. यह सोचने का समय है कि आपकी बेटी खुद अदालत में कह रही है कि वह तनाव में है और आत्महत्या कर लेगी. यदि उसने ऐसा कर लिया तो कौन जिम्मेदार होगा?” इसके बाद जज ने याचिका का निपटारा कर दिया.
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