2024 गुजरने में अब केवल 3 दिन बाकी हैं. इस साल देश और दुनिया ने कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे और हादसों का सामना किया. कई हादसों ने तो लोगों के कलेजे तक छलनी किए. आज हम आपको 2024 के फ्लैशबैक में लेकर चलेंगे, जहां देश और दुनिया का सामना बड़े-बड़े हादसों से हुआ. इन हादसों की चर्चा इंटरनेशनल लेवल पर हुई और कई बड़ी हस्तियों ने इस पर दुख और अफसोस जताया.


राजकोट के गेमिंग जोन में आग, 30 से ज्यादा लोगों की मौत


इस साल 26 मई को गुजरात के गेमिंग जोन में आग लग गई थी, इस दौरान वहां बच्चे खेल रहे थे. इस हादसे में 10 से ज्यादा लोगों को बचाया गया था जबकि 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. पूरा गेमजोन आग से जलकर खाक हो गया. पुलिस कमिश्नर राजीव भार्गव और कलेक्टर आनंद पटेल मौके पर पहुंच लोगों का हाल जाना था और घायलों को अस्पताल भेज गया था. इस घटना पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था, "राजकोट में आग लगने की घटना से बेहद व्यथित हूं. मेरी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है. घायलों के लिए प्रार्थना करता हूं."


हाथरस हादसे से सहम गया देश


इसी साल 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसमें 121 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. हाथरस जिले के मुगलगढ़ी गांव में मंगलवार (2 जुलाई) को भोले बाबा का सत्संग चल रहा था. कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गई है. तो वहीं इस भयंकर हादसे में कई लोग घायल भी हुए थे, जिन्हें अलग-अलग अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. इस हादसे में कानूनी कार्यवाही चल रही है. आयोजकों समेत कई लोगों पर मुकदमें दर्ज किए गए हैं. इस हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया था और अब तक इसके घाव गहरे हैं.


झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग अब तक जिंदा है


यूपी के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में 15 नवंबर की रात नवजात गहन चिकित्सा इकाई में आग लग गई थी. अग्निकांड में दस बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि 16 अन्य गंभीर से घायल हो गए. हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट बताई गई थी. इस घटना से अस्पताल में स्थिति बेकाबू हो गई थी. मौके पर पहुंची राहत बचाव टीम ने बच्चों को निकालने का प्रयास किया, लेकिन तेज आग की लपटों के कारण वे अंदर नहीं जा सके. बचाव टीम वॉर्ड की खिड़की तोड़कर अंदर दाखिल हुई और बच्चों को बाहर निकाला. 37 बच्चों की सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया. अस्पताल में कुल 54 बच्चें एडमिट थे. इस घटना पर देश के कई लोगों ने संवेदनाएं व्यक्त की थी.


जयपुर-अजमेर हाईवे पर फटा था सीएनजी टेंकर


शुक्रवार (20 दिसंबर) को हुए इस हादसे में 14 लोग जिंदा जल गए थे जबकि कई गंभीर रूप से झुलस गए थे. झुलसे लोगों में कइयों की हालत गंभीर थी, जिनमें से चार और लोगों की मौत हो चुकी है. यानी मौत का आंकड़ा अब तक बढ़ कर 19 हो गया है. 


इसी बीच जयपुर हादसे की एक और खौफनाक कहानी सामने आ रही है. 22 साल की विजीता मीणा हादसे में आग की चपेट में आ गई थीं और आग में घिरी दौड़ते हुए मदद की गुहार लगा रही थीं. तभी आसपास मौजूद किसी व्यक्ति ने आग बुझाने में उनकी मदद की. यह बात रामचंद्र मीणा के पिता ने मीडिया को बताई है. हालांकि, इलाज के दौरान विजीता की जान बचाई नहीं जा सकी और वह इस हादसे में जान गंवाने वाली 19वीं पीड़ित हो गईं.