Trending Video In Hindi: ज्यादातर लोग घूमने के शौकीन होते हैं, जो की अपने देश के साथ ही विदेशों में भी घूमने का शौक रखते हैं. जिसके लिए उन्हें एक बड़ी रकम चुकानी पड़ती है. अगर हम बात करें कि हमारे देश के कुछ ऐसे भी लोग हैं जो काफी गरीब होने के कारण भी लगातार दो देशों की यात्रा करते हैं और एक देश में खाते हैं और सिर्फ सोने के लिए उन्हें दूसरे देश की यात्रा करनी होती है, तो यह शायद आपके लिए काफी आशचर्यजनक हो सकता है.


फिलहाल ऐसा हमारे देश में म्यांमार सीमा पर देखा जाता है. देश के नागालैंड राज्य के मोन जिले के लोंगवा गांव में रहने वाले ग्रामीण रोजाना दो देशों के बीच खाते और रहते देखे जाते हैं. यह गांव काफी खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थित है. जहां का नजारा देखने के पर्यटकों की भीड़ हमेशा आती है. वहीं इस गांव के बीच से गुजरने वाली भारत-म्यांमार सीमा इसे और भी आकर्षक बनाती है. यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा दो देशों को इस तरह से अलग करती है कि कुछ घरों के बेडरूम और किचन के बीच से होकर गुजरती है.


एक ही घर के बीच से अंतर्राष्ट्रीय सीमा के गुजरने के कारण कई लोग बड़ी ही आसानी से दो देशों के बीच एक ही समय में बड़े आराम से आ और जा सकते हैं. फिलहाल इसी वजह से लोंगवा गांव के निवासियों को दोहरी नागरिकता दी गई है. वहीं यहां रहने वाले लोगों को किसी तरह के वीजा की भी जरूरत नहीं पड़ती है.


फिलहाल यह गांव म्यांमार सीमा पर भारत का आखिरी गांव है. जहां रहने वाले कोंयाक आदिवासी काफी खुंखार होते हैं जो कि अपने गांव की सीमा को लेकर काफी संवेदनशील हैं. फिलहाल यह गांव प्राकृतिक नजारों से भरा हुआ है. जिसके कारण लगातार पर्यटक यहां आते रहते हैं. इसके अलावा यह लोंगवा गांव नागालैंड के मोन शहर से तकरीबन 42 किलोमीटर दूर है. वहीं यहां आने के लिए  नागालैंड राज्य परिवहन निगम की बसों से मोन जिले तक पहुंच कर किराए के वाहन से इस गांव तक पहुंचा जा सकता है.


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