Trending News: जॉली एलएलबी-2 तो आपने देखी ही होगी. जिसमें अक्षय कुमार के एक क्लाइंट को सरकार जब मृत घोषित कर चुकी होती है तो अक्षय कुमार उससे एक छोटी श्रेणी का अपराध करवाकर एफआईआर में अपने क्लाइंट का नाम दर्ज करा देता है जिससे वह जीवित साबित हो जाता है. ठीक इसी तरह का एक मामला राजस्थान से सामने आया है जहां मृत साबित हो चुके एक शख्स ने खुद को जिंदा साबित करने के लिए स्कूल में बच्चों को बंधक बना कर कई शिक्षकों को घायल कर दिया, जिससे कि एफआईआर में उसका नाम आ सके और वो खुद को जिंदा साबित कर पाए.


खुद को जिंदा साबित करते करते थक गया था


राजस्थान के मिठोरा गांव के 40 साल के बाबूराम भील लंबे समय से अधिकारियों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि वे जिंदा हैं. बाबूराम के नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र भी प्रशासन ने जारी कर दिया था. बाबूराम ने अपने गांव के बुजुर्गों और राज्य के अधिकारियों से इसे सुधारने की गुजारिश भी की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसलिए बाबूराम ने अपना खुराफाती दिमाग दौड़ाया और लगे सरकारी गलती को सुधारने. लेकिन उनका यह तरीका थोड़ा अजीब था और गैरकानूनी भी था. 


संपत्ति जब्त न हो जाए इसलिए उठाया कदम


बाबूराम भील को यह डर था कि उसकी मृत्यु के बाद सरकार उसकी सारी संपत्ति जब्त कर लेगी, बाबूराम इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उसे एक अपराधी बनना चाहिए जिससे की उसकी समस्या की तरफ प्रशासन का ध्यान जाए. 19 जुलाई को, उन्होंने एक चाकू और पेट्रोल की बोतल ली और एक स्थानीय स्कूल में आतंक मचाना शुरू कर दिया.


शिक्षक और अभिभावक को किया घायल


चूली बेरा धारणा स्कूल में घुसने के बाद, हताश हो चुके बाबूराम ने दो शिक्षकों, कार्यवाहक प्रधानाध्यापक हरदयाल और शिक्षक सुरेश कुमार, साथ ही एक अभिभावक को गंभीर रूप से घायल कर दिया. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, बाबूराम भील ने कई छात्रों और शिक्षकों को तब तक बंधक बना लिया जब तक कि पुलिस ने आकर उसे गिरफ्तार नहीं कर लिया.


पूछताछ में खोले राज


ऑडिटी सेंट्रल वेबसाइट की मानें तो पूछताछ के दौरान राजस्थान के इस व्यक्ति ने बताया कि उसे गलत तरीके से मृत घोषित कर दिया गया था. अपने मृत्यु प्रमाण पत्र को रद्द करवाने के लिए बार-बार प्रयास करने के बाद, वह यह साबित करने के लिए बेताब हो गया कि वह जीवित है. उसने सोचा कि खुद को गिरफ्तार करवाने के लिए इतने गंभीर अपराध करने पर पुलिस के पास उसे गिरफ्तार करने और पुलिस रिकॉर्ड में उसका नाम दर्ज करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा, जो इस बात का सबूत होगा कि वह वास्तव में मरा नहीं है.


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