‘’मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर


लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया’’


मजरूह सुल्तानपुरी की ये शायरी देश की नामी मसाला कंपनी महाशिया दी हट्टी (MDH) के संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी पर फिट बैठती हैं. बेशक वह अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अब भी वह कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं. फर्श से अर्श तक का उनका सफर लोगों में जोश और उत्साह भरते हुए उन्हें कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित करता है. धर्मपाल गुलाटी का निधन 2 दिसंबर 2020 को हो गया था. उनकी मौत के 1 साल बाद आइए देखते हैं उनकी सफलता की कहानी.


पाकिस्तान में जन्मे थे


धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ था. 1947 में विभाजन के बाद वह इंडिया में आकर बस गए. जब वह भारत आए थे, तब उनके पास सिर्फ 1500 रुपये थे. इन्होंने 5वीं तक की पढ़ाई की थी.


कुछ दिन तांगा चलाकर किया गुजारा


धर्मपाल गुलाटी जब पाकिस्तान से भारत में दिल्ली आए तो यहां उनके सामने जीविकोपार्जन की सबसे बड़ी चुनौती थी. उनके पास सिर्फ 1500 रुपये थे. इनमें से 650 रुपये से इन्होंने घोड़ा और तांगा खरीदा और दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने लगे. कुछ दिन तक तांगा चलाने के बाद इन्होंने अपना बिजनेस करने का मन बनाया. इन्होंने तांगा अपने भाई को दे दिया और खुद करोलबाग के अजमल खां रोड पर मसाले की एक छोटी सी दुकान खोली.


छोटी दुकान से खड़ी कर दी 2000 करोड़ की कंपनी


छोटी सी दुकान धीरे-धीरे बड़ी होती गई. बिजनेस बढ़ता गया और उन्होंने एमडीएच नाम से एक ऐसा साम्राज्य खड़ा कर दिया जिसके मसाले दूसरे देशों में भी मशहूर हैं. देखते-देखते उनकी कंपनी 2000 करोड़ रुपये की हो गई. 2019-20 में यूरोमॉनिटर ने उन्हें एफएमजीसी सेक्टर में सबसे ज्यादा कमाई करने वाला सीईओ बताया था. तब बताया गया था कि 2018 में उन्हें 25 करोड़ रुपये की इन-हैंड सैलरी मिलती थी.


दान में भी थे आगे   


धर्मपाल न सिर्फ बिजनेस में बल्कि दान में भी आगे थे. वह अपनी सैलरी का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा दान करते थे. वह 20 स्कूल और 1 हॉस्पिटल भी चलाते थे.


ये भी पढ़ें


IMF की फर्स्ट डिप्टी मैनेंजिग डायरेक्टर का पद संभालेंगी गीता गोपीनाथ, 21 जनवरी से शुरू करेंगी काम


Investors Wealth Rises: शेयर बाजार में तेजी का असर, दो दिनों में निवेशकों की संपत्ति में करीब 5.50 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी