Trending Video: भारत के राज्य नागालैंड में एक शहर है जो नागालैंड की राजधानी भी है. ये शहर कोहिमा है, जिसे अपनी पुरानी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के अलावा किसी और वजह से भी जाना जाता है. ये वजह कई लोगों को अच्छी भी लग सकती है को कई लोगों को ये वजह बुरी भी लग सकती है. जी हां, कोहिमा शहर के कई सारे बाजार में आपको चीन की झलक दिखेगी, क्योंकि यहां कुत्ते से लेकर चूहे बिल्ली तक का मांस खाया और बेचा जाता है. नागालैंड के लोग कुत्ते और बिल्ली के मांस को दवा मानते हैं और इसका खुलकर सेवन भी करते हैं.


कुत्ते बिल्ली से लेकर चूहे तक का मांस है बाजार में


कोहिमा के माओ बाजार में आपको कुत्ते, बिल्ली, चूहे और कॉकरोच तक का मांस देखने को मिल जाएगा. Delhi Food walk नाम के एक भारतीय फूड व्लॉगर ने कोहिमा के माओ मार्केट के खाने को शेयर किया और बताया कि यहां क्या-क्या बिकता है और खाया जाता है. उनके साथ मौजूद एक गाइड ने उन्हें बताया कि यहां चूहे को गलाकर उसका सूप बनाया जाता है तो वहीं मेंढक की सब्जी बनाकर इसे बड़े शौक के साथ खाया जाता है. यही नहीं, जब किसी इंसान की सर्जरी होती है तो उसे तेजी से ठीक करने के लिए मेंढक का मांस खिलाया जाता है. कुत्ते के मांस को भी यहां के लोग प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए खाते हैं.


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500 रुपये किलो मेंढक, 300 रुपये किलो बिल्ली


कोहिमा के माओ मार्केट में मेंढक 500 रुपये किलो बिकता है तो वहीं कुत्ते बिल्ली का मांस 300 रुपये किलो के भाव तक है. यहां लोग कीड़े मकौड़े तक नहीं छोड़ते और उन्हें दवा के रूप में अपने खाने में शामिल करते हैं. यहां चावल की दारू भी पी जाती है और बेची जाती है. इसके अलावा दुनिया में मिलने वाला हर जानवर आपको यहां लोगों की थाली के लिए तैयार होता दिख जाएगा.


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साल 2020 में सरकार ने लगाई थी रोक


साल 2020 में सरकार ने नागालैंड के तीन व्यापारियों पर कुत्ते का मांस बेचने पर रोक लगाई थी, जिसके बाद वे कोर्ट की शरण में गए थे. जहां से हाईकोर्ट ने उन पर लगी रोक को वहीं खत्म कर दिया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट के कोहिमा बेंच ने अपने एक फैसले में कहा था कि कुत्ते का मांस खाना नागालैंड के लोगों की आदत है और उनके भोजन का हिस्सा है. आज के आधुनिक युग में भी लोग अपनी इस खाद्य परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, इसलिए कुत्ते के मांस पर रोक लगाना किसी भी तरह से सही नहीं है.


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