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Qutub Minar-Kirti Stambh Mystery : कुतुब मिनार में मौजूद इस रहस्यमय स्तंभ को क्यों कहते हैं जादू का खंभा, क्या है इसमें खास

Qutub Minar-Kirti Stambh Mystery : कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कीर्ति स्तंभ एक रहस्य है. बताया जाता है कि यह 1600 साल से पुराना है और लोहे के इस स्तंभ में जंग नहीं लगती है. इसमें और भी कई रहस्य हैं.

Qutub Minar-Kirti Stambha Mystery : भारत देश रहस्यों से भरा हुआ है. ये रहस्य कई मंदिरों से लेकर ऐतिहासिक स्थलों तक में मौजूद हैं. इनकी चर्चा खूब होती है. इन्हें देखने और समझने दूर-दूर से लोग आते हैं. ऐसा ही एक रहस्य दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में मौजूद है. रहस्य का विषय है यहां मौजूद कीर्ति स्तंभ. बताया जाता है कि यह 1600 साल से भी पुराना है. कहते हैं कि लोहे के इस स्तंभ में जंग नहीं लगती है और आज भी यह उतना मजबूत है जितना कई सौ साल पहले था. इस स्तंभ को लेकर और भी कई मान्यताएं और रहस्य हैं, जिन्हें हम आपको विस्तार से बताएंगे.

इतिहास के चश्मे से देखें इस स्तंभ को

अगर इतिहास के हिसाब से इस कीर्ति स्तंभ को देखें तो यह स्तंभ चंद्रगुप्त 2 के समय में मध्य प्रदेश में बनाए जाने की बात कही जाती है. हालांकि इस पर मतभेद हैं. इसके 1233 एडी में दिल्ली आने की बात इतिहास कहता है, पर यह मध्य प्रदेश से कब दिल्ली लाया गया, इसे लेकर कोई जानकारी नहीं मिलती. इतिहास में इस स्तंभ को विष्णु मंदिर से जोड़कर देखते हैं. कुछ इतिहासकार बतात हैं कि इसे विष्णु ध्वज भी कहते हैं. इस स्तंभ पर ही विष्ण मंदिर के ध्वज को फहराया जाता था.    

इस स्तंभ का आकर्षण क्या है

इस स्तंभ के कई आकर्षण हैं. इसे लेकर कहा जाता है कि इतने सौ साल पुराने स्तंभ में जंग नहीं लगती. इस स्तंभ को बनाते समय ऐसी कौन सी चीज मिलाई गई थी जिसकी वजह से इस स्तंभ में जंग नहीं लगती, इसे लेकर अब भी रहस्य बना हुआ है. इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है. बताते हैं कि इस स्तंभ का वजन 6 टन से भी ज्यादा है.

क्या सच में पूरी होती है मन्नत

इस कीर्ति स्तंभ को लेकर कहा जाता है कि यह मन्नत पूरी करता है. इस बात की वजह से लोग यहां आकर खंबे पर पीठ टिकाकर पीछे हाथ निकालते हुए एक हाथ से दूसरे हाथ को पकड़ने की कोशिश करते थे. कहा जाता है कि जो अपने दोनों हाथों को इस तरह पकड़ ले उसकी एक मन्नत जरूर पूरी होती है. हालांकि कई साल से अब यह बंद है. लगातार ऐसा होने की वजह से स्तंभ को नुकसान हो रहा था. ऐसे में अब इस फेंसिंग से कवर कर दिया गया है.

क्या कहता है विज्ञान

इस स्तंभ को लेकर विज्ञान कहता है कि पुराने समय में लोहे की चीज बनाते वक्त उसमें फास्फोरस और चारकोल को मिलाया जाता था. ये मैग्नीशियम और सल्फर के कंटेंट के साथ रहता था. साइंस कहता है कि इस स्तंभ में जग न लगने के पीछे यही वजह है. इसके अलावा दिल्ली के मौसम में 70 प्रतिशत तक ह्यूमिडिटी रहित है. यहां हवा में नमी कम रहती है. वहीं लोहे में हीट अच्छी तरह से एब्जॉर्ब हो जाती है, ऐसे में यह तापमान गिरने पर भी गर्म रहता है. ये भी एक वजह है जिससे इसमें जंग नहीं लगता है.

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