अभी कुछ दिनों पहले ही इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि युवाओं को एक सप्ताह में 70 घंटे काम करने की आदत डालनी चाहिए. नारायण मूर्ति के इस बयान के बाद पूरे देश से तरह-तरह की टिप्पणियां आईं. कई लोग नारायण मूर्ति गए हक में खड़े नजर आए. तो कई लोग उनके विरुद्ध भी थे. कई लोगों ने कहा कि काम करना तो जरूरी है सबको. तो वहीं कई लोगों ने कहा इससे वर्क लाइफ बैलेंस का क्या होगा. क्या इंसान काम ही करता रहेगा या जिंदगी भी जिएगा. अब इसपर नारायण मूर्ति ने अपनी बात का मतलब समझाया है.
अपने बयान को किया डिफेंड
जब से इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने को लेकर बयान दिया था. सोशल मीडिया पर तब से ही उनके खिलाफ और उनके समर्थन में लोगों ने काफी आवाज उठाई. नारायण मूर्ति के इस बयान के बाद उनकी तारीफ कम हुई लेकिन लोगों ने उनके विरुद्ध काफी बातें की. अब इस पर एक बार फिर से नारायण मूर्ति ने सफाई देते हुए कहा है कि भारत में किसान और फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर ज्यादा काम करते हैं बजाए उनके जो लोग पढ़ लिख जाएं. उन्हें शिक्षा नहीं मिल पाती इसलिए वह मजदूरी करते हैं खेती करते हैं. लेकिन जिन्हें शिक्षा मिलती है वह भी मेहनत करने के लिए पाबंद है. अगर भारत को दुनिया में बड़ी ताकत बनना है. तो सभी को उतनी ही मेहनत करनी पड़ेगी.
मैंने भी किया है 85-90 घंटे काम
इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने को लेकर कहा यह कोई मुश्किल काम नहीं है जब मैं इंफोसिस की शुरुआत की थी तब मैं भी सप्ताह में 85 से 90 घंटे काम किया करता था. मैं सुबह 6:00 बजे घर से निकलता था और रात को 9:00 बजे घर वापस लौटता था. इसके आगे नारायण मूर्ति ने यह बताया कि जरूरी नहीं है अगर आप खेत में काम कर रहे हैं फैक्ट्री में काम कर रहे हैं तो ज्यादा काम करेंगे. लेकिन बड़ी कंपनी में काम करते हैं तो नहीं करेंगे. ऐसा सोचना गलत है. किसी भी क्षेत्र में कोई बहुत मेहनत कर रहा है तो मैं उसकी इज्ज्त करता हूं.
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