ये तो हम सब जानते हैं कि कभी कभी छोटी सी कोशिश भी बड़े बदलाव ला सकती है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि नासिक में कुछ ऐसा ही हुआ है. दरअसल पश्चिम नासिक के सहायक वन संरक्षक आनंद रेड्डी ने नासिक के एक गांव के बच्चों को पक्षियों को चोट पहुंचाने से रोकने के लिए गुलेल को छोड़ने के लिए प्रेरित किया है. इसी वजह से अब ये एक छोटे आंदोलन में बदल गया है. आनंद रेड्डी ने अपनी सफलता की कहानी को अपने ट्विटर हैंडल पर कई ट्वीट्स के जरिए शेयर किया है.


जानकारी के मुताबिक रेड्डी ने इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर 'गालोर समर्पण अभियान' की शुरूआत की थी, रेड्डी ने अपने ट्वीट में लिखा कि 'नासिक के कई गांवों में ये बहुत आम है, इस वजह से जंगल खाली हो चुके हैं, कोई पक्षी यहां नहीं आता, ना कोई चहकता है, यहां केवल सन्नाटा पसरा रहता है'. वहीं आनंद ने बताया कि कैसे उन्होंने मासूम बच्चों को गुलेल का इस्तेमाल बंद करने के लिए प्रेरित किया. वो हर बच्चे के पास गएऔर बच्चों को गुलेल से लगने वाली पक्षियों की चोंट के बारे में बताया और उन्हें सरेंडर करने के लिए प्रेरित किया.




आनंद ने शेयर किया बच्चों का वीडियो


आनंद रेड्डी की छोटी सी पहल एक ऐसे आंदोलन में बदल गई, जिसके बाद बच्चों ने अपनी मर्जी से गुलेल को छोड़ दिया. वहीं आनंद ने बच्चों का एक वीडियो शेयर किया है, इसमें बच्चे बैनर हाथ में लिए गांव में घूमघूम कर पक्षियों को चोट पहुंचाने के खिलाफ जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.



यूजर्स ने की आनंद रेड्डी की सराहना


जानकारी के मुताबिक 5 जुलाई को ट्वीट शेयर किए जाने के बाद से इस पोस्ट को 1,400 से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. वहीं इस अद्भुत पहल को आईएफएस अधिकारी परवीन कस्वां समेत कई लोगों ने सराहा है.


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