Viral News: मेडिकल साइंस लगातार तरक्की कर रहा है. नए आविष्कारों और नई टेक्नोलॉजी ने लोगों के जीवन को काफी आसान कर दिया है. नई टेक्नोलॉजी से मरीजों को काफी सुविधा होने लगी है. मेडिकल साइंस ने एक नया आविष्कार किया है. जो मरीजों के लिए काफी सुविधाजनक साबित हो सकता है. दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के लकवाग्रस्त शख्स ने अपने दिमाग में एक चिप लगवाई है. जिसकी मदद से उसने ट्वीट किया है. शख्स ने बिना अपने हाथों और शरीर के किसी हिस्से का इस्तेमाल किए सिर्फ दिमाग की मदद से पहली बार मैसेज टाइप किया है. जिसे देखकर लोग भी हैरान है. 


सिर्फ सोचकर दिमाग की मदद से शख्स ने किया ट्वीट
ऑस्ट्रेलियाई के 62 वर्षीय लकवाग्रस्त शख्स फिलिप ओ'कीफ (Philip O’Keefe) ने दिमाग में लगी चिप की मदद से अपने ख्याल को केवल सोचकर ट्वीट करने का कारनामा किया है. सिंक्रॉन के सीईओ थॉमस ऑक्सली के ट्विटर हैंडल से उन्होंने ट्वीट किया- "हैलो, वर्ल्ड! छोटा ट्वीट, बड़ी उपलब्धि." आपको बता दें फिलिप एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) से पीड़ित हैं, जिसके कारण वे अपने शरीर के ऊपरी अंगों को हिलाने में पूरी तरह से असमर्थ हैं.


शख्स के दिमाग में यह चिप कैलिफोर्निया स्थित सिंक्रॉन (एक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस) कंपनी ने 2020 में लगाई थी. इसके जरिए शख्स बैंक का काम, शॉपिंग, खरीदारी आदि काम भी कर सकता हैं. इस पद्धति से मरीज सीधे तौर पर सिर्फ अपने दिमाग का इस्तेमाल कर, बिना हाथ का इस्तेमाल किए या फिर बिना कुछ बोले दिमाग में आए विचार को लिख सकता है. मेडिकल जगत के लिए ये किसी क्रांति से कम नहीं है, क्योंकि इसके जरिए वैसे मरीज, जो अपनी बात नहीं कह सकते हैं, वो लिखकर अपनी बात लोगों को बता सकते हैं






चिप की मदद से कैसे होता है मैसेज टाइप
इस डिवाइस का इस्तेमाल कर मरीजों के दिमाग को सीधे तौर पर कंप्यूटर से जोड़ा जाता है. इंसानी दिमाग और कंप्यूटर के आपस में जुड़ने के बाद इंसान जो भी दिमाग में सोचता है उसे कंप्यूटर समझकर लिख देता है. स्टेंट्रोड का इस्तेमाल कर लकवाग्रस्त मरीज 90 प्रतिशत से ज्यादा सटीकता के साथ अपनी बात कंप्यूटर पर लिख सकता है. इस दौरान उसकी औसतन स्पीड 14 से 20 शब्द के बीच होती है. लिखने के लिए मरीजों को अपने शरीर के किसी भी अंग का इस्तेमाल नहीं करना है, वो जो सोचेगा, वही लिखा जाएगा. लिखने के लिए दिमाग में बहने वाले खून का इस्तेमाल किया जाता है और चिप में ब्रेन सेंसर लगे होते हैं. फिर इन संकेतों को एक टेलीमेट्री यूनिट के माध्यम से रोगी की छाती पर टेप किए गए एक छोटे कंप्यूटर पर भेजा जाता है, जो यह बताता है कि मरीज क्या लिखना चाहता है.