रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से चल रही खींचा तानी ने एक भयानक मोड़ ले ही लिया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में सैन्य अभियान की घोषणा कर दी है. घोषणा के तुरंत बाद यूक्रेन की राजधानी कीव में धमाकों की आवाज सुनी गई है. हालांकि अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश रूस के इस कदम से खुश नहीं हैं. यानी अब एक तरफ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देश हैं तो दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति पुतिन. एक वक्त में पुतिन को बतौर रूसी जासूस जाना जाता है, जो अब अपने फैसलों को लेकर दुनिया में चर्चा में बने हुए हैं. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि व्लादिमीर पुतिन ने रूसी सत्ता के शिखर तक का सफर कैसे तय किया है?


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कहानी शुरू होती है सोवियत संघ के लेनिन ग्राड यानी आज के समय के सेंट पीटर्सबर्ग से. जहां पर रहने वाले व्लादिमीर रोविच पुतिन और मारिया इवानोवना के घर पर 7 अक्टूबर 1952 को उनके तीसरे बच्चे का जन्म होता है. जिसको नाम दिया जाता है व्लादिमीर पुतिन. व्लादिमीर पुतिन से पहले उनके दो बच्चों की बचपन में ही बीमारी से मौत हो गई थी. व्लादिमीर पुतिन का बचपन में उनसे बड़े उम्र के लड़कों के साथ झगड़ा होता रहता था. इसलिए उन्होंने बचपन में ही जूडो सिखा. पुतिन के पिता सोवियत नेवी में थे, तो मां एक फैक्ट्री में काम करती थी. सितंबर 1960 से उन्होंने अपने घर के पास के स्कूल से पढ़ाई की. सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी से उन्होंने कानून की पढ़ाई की. 



लॉ में ग्रेजुएट पुतिन ने 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी को जॉइन किया और रूस के जासूस बन गए. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी में तैनात किया गया. 16 सालों तक पुतिन ने बतौर जासूस काम किया फिर इस्तीफा देकर राजनीति में आ गए. 1991 के आखिरी में सोवियत संघ टूटा तो 25 दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. तब रूस के नए राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन को सत्ता मिली. औपचारिक रूप से सोवियत संघ को खत्म करने और रूस के राष्ट्रपति भवन पर रूसी झंडा फहराने के दौरान बोरिस और पुतिन के बीच नजदीकियां बढ़ गई. धीरे-धीरे दोनों के बीच अच्छा बॉन्ड बनता गया. 1999 में येल्तसिन ने पुतिन को प्रधानमंत्री बना दिया. 



31 दिसंबर 1999 को येल्तसिन ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. तब पुतिन ने बतौर कार्यवाहक राष्ट्रपति सत्ता का सम्भाला. 26 मार्च 2000 को पुतिन ने पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव जीता. यानी तमाम मुश्किलों को पार करते हुए एक आम लड़का अब देश का राष्ट्रपति बन गया था. मार्च 2004 में पुतिन दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए. उन्होंने 70 फीसदी वोटों से जीत हासिल की थी. इस तरह से उन्होंने अभी तक अपना राष्ट्रपति बने रहने का सफर जारी रखा है. 


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