कब और कैसे होगी इंसानों की मौत? साइंटिस्ट ने किया तारीख का खुलासा
साइंटिस्ट्स का कहना है कि आने वाले वक्त में कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल आज की तुलना में दोगुना ज्यादा हो जाएगा. सिर्फ यही नहीं, सूरज से लगभग 2.5 प्रतिशत ज्यादा रेडिएशन उत्सर्जित होने के भी आसार हैं.
क्या आपके दिमाग में कभी यह सवाल आया है कि यह दुनिया कब खत्म होगी और दुनिया में रहने वाले सभी इंसानों की मौत कैसे होगी? न चाहते हुए भी इस तरह के सवाल हमारे मन में कई बार आ जाते हैं. इंसानों की मौत को लेकर कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं. लेकिन इस बार साइंटिस्ट ने एक चौंकाने वाला दावा किया है. साइंटिस्ट ने मनुष्यों के अस्तित्व की समाप्ति की तारीख का खुलासा किया है.
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने एक रिपोर्ट बनाई है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि इंसानों की मौत कब होगी. साइंटिस्ट्स का कहना है कि इंसानों की मौत होने में अभी बहुत लंबा वक्त बाकी है. आसार हैं कि 25 करोड़ साल बाद मनुष्यों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के सीनियर रिसर्च एसोसिएट और ऑथर डॉ. अलेक्जेंडर फार्नस्वर्थ ने कहा कि लगातार बढ़ते तापमान और ज्यादा गर्मी की वजह से इंसानों की मौत हो जाएगी. हालांकि ज्यादा गर्मी सुपरकॉन्टिनेंट को बनाने का भी काम करेगी और ज्वालामुखी विस्फोट का कारण भी बनेगी.
खतरे में इंसान का भविष्य !
डॉ. फार्नस्वर्थ ने कहा कि भविष्य काफी हद तक धूमिल नजर आता है. आने वाले वक्त में कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल आज की तुलना में दोगुना ज्यादा हो जाएगा. यही नहीं, सूरज से लगभग 2.5 प्रतिशत ज्यादा रेडिएशन उत्सर्जित होने के भी आसार हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि ग्रह के ज्यादातर हिस्से को 40-70C के बीच टेंपरेचर की मार झेलनी पड़ सकती है. उन्होंने कहा कि नया उभरता हुआ जो सुपरकॉन्टिनेन्ट है, इसके प्रभाव तीन गुना ज्यादा होंगे, जैसे- ज्यादा गर्म सूरज, वातावरण में ज्यादा CO2, महाद्वीपीय प्रभाव और ग्रह के ज्यादातर हिस्सों में तेज गर्मी आदि. इसका बुरा परिणाम यह भी होगा कि स्तनधारियों के लिए वातावरण में खाना और पानी के सोर्स घट जाएंगे.
इंसान नहीं झेल पाएगा गर्मी
साइंटिस्ट का कहना है कि 40 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान के रहने से गर्मी इतनी ज्यादा पड़ेगी कि इंसान इसे झेल ही नहीं पाएगा. हालांकि इस मुसीबत को आने से रोकने का एक तरीका भी है और वो तरीका जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) के इस्तेमाल को बंद करना है. ऐसा इसलिए क्योंकि जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से इंसानों का जीवन हर बदलते दिन के साथ खतरे में पड़ रहा है. जीवन के साल घटते जा रहे हैं. अगर इंसानों के सर्वनाश को जल्दी होने से रोकना है तो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बंद करना पड़ेगा.