Kawad Yatra Video: देखिए कलयुग के श्रवण कुमार को! कावड़ यात्रा में माता-पिता को कंधे पर ले जाते बेटे का वीडियो वायरल
Viral Video: लाखों शिवभक्तों (Shiv Bhakt) के बीच एक बेटे का विडियो वायरल हो रहा है जो पालकी में अपने बुज़ुर्ग माता-पिता को लेकर कांवड़ यात्रा पर आया है.
Trending Shravan Kumar In Kawad Yatra: हर साल सावन में कावड़ यात्रा के दौरान भारी-भारी कांवड़ और अन्य बोझ के साथ शिव भक्तों को नंगे पांव मीलों यात्रा करते देखा जाता है. सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें और क्लिप वायरल होती हैं. ऐसी ही एक क्लिप एक बेटे (son) की वायरल हुई है जो इस भीषण गर्मी में अपने मां-बाप (Father-Mother) को कंधे पर उठाए निकल पड़ा है कावड़ यात्रा पर.
ट्विटर पर वायरल हो रहे इस वीडियो में अपने बुजुर्ग माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाने वाले कावड़िए बेटे की एक क्लिप वायरल हो गई है. IPS अधिकारी अशोक कुमार ने ऑनलाइन ये क्लिप साझा की है.
पहले आप क्लिप देखिए:
जहां आजकल बूढ़े मां-बाप का तिरस्कार होता है, उन्हें घर से निकाल दिया जाता है या अपने साथ रहने नहीं दिया जाता.. वहीं आज इसका विपरीत दृश्य देखने को मिला..
— Ashok Kumar IPS (@AshokKumar_IPS) July 19, 2022
लाखों शिवभक्तों के बीच एक श्रवण कुमार भी है जो पालकी में अपने बुज़ुर्ग माता-पिता को लेकर कांवड़ यात्रा पर आया है..
मेरा नमन! pic.twitter.com/phG1h3pfg1
क्या लिखा आईपीएस अधिकारी ने
इस क्लिप को शेयर करते समय आईपीएस अधिकारी ने लिखा है कि, "जहां आजकल बूढ़े मां-बाप का तिरस्कार होता है, उन्हें घर से निकाल दिया जाता है या अपने साथ रहने नहीं दिया जाता.. वहीं आज इसका विपरीत दृश्य देखने को मिला..लाखों शिवभक्तों के बीच एक श्रवण कुमार भी है जो पालकी में अपने बुज़ुर्ग माता-पिता को लेकर कांवड़ यात्रा पर आया है..मेरा नमन!"
कब और क्यों होती है कावड़ यात्रा
हर साल होने वाली कावड़ यात्रा इस साल 14 जुलाई को शुरू हुई जो 26 जुलाई 2022 को समाप्त होगी. ये यात्रा सावन के महीने में भगवान शिव के भक्त पूरी करते हैं. इस यात्रा में भाग लेने वाले देश भर से आए भगवान शिव के लाखों भक्त कांवरिया कहलाते हैं. ये सभी भक्त गंगा नदी के पवित्र जल को लाने के लिए उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री और बिहार के सुल्तानगंज के हिंदू तीर्थ स्थानों की यात्रा करते हैं. कांवड़िये यहां से ये पवित्र जल को इकट्ठा करते हैं और इसे सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गृहनगर (hometown) ले जाते हैं. यहां ये जल वो अपने स्थानीय शिव मंदिरों (Shiv Mandir) में भी चढ़ाते हैं.
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