कोढ़ की बीमारी (Leprosy) को हमारे समाज में एक बीमारी कम और अभिशाप ज्यादा माना जाता है यहां तक कि ये भी कहा जाता है कि भगवान ने किसी बुरे कर्मों के लिए सजा दी है. कोढ़ की बीमारी बहुत बुरी मानी जाती है. भारत में तो इस बीमारी को लेकर अलग ही सोच है. लोग ऐसे लोगों से दूर रहते हैं. लेकिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि पश्चिमी देशों में भी कोढ़ के मरीजों के साथ ऐसा ही सुलूक किया जाता है. यूरोपीय देश ग्रीस या यूनान में तो एक आईलैंड ही कोढ़ के मरीजों के लिए अलग कर दिया गया था.


स्पिनालॉन्गा नाम के आईलैंड के बारे में आपने सुना होगा. ये यूनान का सबसे बड़े द्वीप क्रीट के पास स्थित है. आज के समय में भले ही यहां कोई न रहता हो लेकिन इस जगह को सबसे पहले वेनिस के राजा ने यहां पर सैनिक अड्डा बनाया था.  बाद में तुर्की के ऑटोमान साम्राज्य ने यहां पर किलेबंदी कर के रखी. स्पिनालॉन्गा को कोढ़ के मरीजों का अड्डा बना दिया गया. कोढ़ के मरीजों को यहां रखा जाता था यह सिलसिला 1957 तक चलता रहा था. साल 1957 में एक ब्रिटिश एक्सपर्ट ने यहां पर आकर जब लोगों का हाल देखा तो ये बात पूरी दुनिया को पता चली. उसके बाद यूनानी सरकार को बेहद शर्मिंदा होना पड़ा.


इसके बाद सभी लोगों को इलाज के लिए भेजा गया और कुष्ठ रोगी आश्रम बंद कर दिया गया. जब यहां के कोढ़ मरीज यहां से चले गए तो इसके बाद ये जगह खाली हो गई. अब यहां कोई भी नहीं रहता है. बता दें कि यहां पर मरीजों के लिए कोई इलाज का इंतजाम नहीं था. हालांकि इस बीमारी का इलाज खोज लिया गया था लेकिन यूनान सरकार ने स्पिनालॉन्गा में रहने वालों के इलाज की कोशिश ही नहीं की.


ये भी पढ़ें -


सज-धज कर खड़ा दूल्हा अचानक फूट-फूटकर रोने लगा, दुल्हन के भी आंख में आ गए आंसू


स्कूटी से टच हुई लड़के की बाइक, लड़की ने किया हाईवोल्टेज ड्रामा, फोन भी तोड़ा