बदलती तकनीक ने इंसान के जीवन को आसान कर दिया है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है एटीएम. पहले लोगों को बैंक से पैसे निकालने के लिए घंटों लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ता था, लेकिन जब से एटीएम आया है, तब से बैंकों में भीड़ आधी हो गई है. तकनीक के जानकार लोग तो बैंक से पैसे निकालने के लिए जाते ही नहीं हैं. या तो वे एटीएम का इस्तेमाल करते हैं या फिर ऑनलाइन बैंकिंग ऐप का. आज जब बात एटीएम की हो ही रही है तो आपको बताते हैं इससे जुड़ी बेहद दिलचस्प जानकारी.
भारत में पैदा हुए थे एटीएम मशीन के जनक
बता दें कि एटीएम मशीन की खोज एक स्कॉटिश वैज्ञानिक जॉन शेफर्ड बैरन ने की थी. दिलचस्प बात ये है कि बैरन का जन्म भारत के शिलॉन्ग शहर में हुआ था. साल 1969 में उन्होंने एटीएम मशीन की खोज की थी, जो पूरी दुनिया में पॉपुलर हो गई.
शेफर्ड बैरन नहीं चाहते थे 4 अंकों का एटीएम पिन
अब जब शेफर्ड बैरन ने यह मशीन बनाई तो एटीएम की सुरक्षा के लिए एक कोड भी तैयार किया. आज एटीएम का पिन 4 अंकों का होता है, लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी की शेफर्ड बैरन बिल्कुल नहीं चाहते थे कि एटीएम का पिन 4 अंकों का हो, बल्कि वो इसे 6 अंकों का रखना चाहते थे. लेकिन एक दिलचस्प किस्से ने उन्हें एटीएम का पिन चार अंकों का ही रखने पर मजबूर कर दिया.
पत्नी भूल जाती थी 6 अंकों का पिन
दरअस्ल उन्होंने एटीएम के पिन को लेकर अपनी पत्नी कैरोलिन पर एक प्रयोग किया. उन्होंने देखा कि 6 अंकों के पिन में से उनकी पत्नी बार-बार 2 अंक भूल जाती थीं और उन्हें सिर्फ 4 अंक याद रह जाते थे. तभी उन्हें पता चला कि औसतन इंसानों का दिमाग 6 के बजाय 4 अंक ही आसानी से याद रख सकता है और इसलिए उन्होंने पिन को 6 के बजाय 4 अंकों का रखने का फैसला किया.
आज भी कुछ देशों में इस्तेमाल होता है 6 अकों का एटीएम पिन
बता दें की 20 फीसदी एटीएम पिन हैक किये जा सकते हैं. हालांकि चार अंकों के एटीएम पिन को इतनी आसानी से हैक नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह 6 अंकों के पिन से कम सुरक्षित है. बता दें कि आज भी कुछ देशों में 6 अंकों का एटीएम पिन इस्तेमाल किया जाता है.
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