हमारी उम्र भी ना हमे बड़ा डराती है और हम डर भी जाते है. हमारे यहां हर चीज की एक सही उम्र तय है. नौकरी की सही उम्र, शादी की सही उम्र, फैमिली प्लानिंग की सही उम्र और हां रिटायरमेंट की भी. अगर 25 में अच्छी नौकरी, 28 में शादी और 30 में फैमिली कम्पलीट न हो तो सोसाइटी के हिसाब से तो आपने कुछ हासिल ही नहीं किया. 7 सेकंड का ये वीडियो हमारी पूरी सोसाइटी को चिढ़ाता हैं.


7 सेकंड की यह वीडियो क्लिप हर उस व्यक्ति के जीवन में जोश भर देगी जो यह सोच रहा था कि बस अब थक गया हूं. इस वीडियो में अम्मा जी का एनर्जी लेवल देख कर झंडू पंचारिष्ट की टैग लाइन अचानक ही याद आ गयी- ''बढ़ती उम्र मानो थम सी जाएं''. ये अम्मा जी बता रही हैं की उम्र कोई भी हो रुकना मना है. हां ये भी कि जोश और जुनून हो तो हर उम्र में कुछ नया करने का सोचा जा सकता है. ऐज इज रियली जस्ट अ नंबर.






लिखते-लिखते क्वीन फिल्म का डायलॉग भी याद आ गया जिसमे कंगना कहती है कि...मेरा हाल ना गुप्ता अंकल जैसा हो गया है, गुप्ता अंकल को कैंसर हो गया था, उन्होंने न शराब भी, ना सिगरेट पी, इससे अच्छा तो पी लेते. मैं शराब और सिगरेट पीने समर्थक नहीं हूं. मेरा बस इतना मानना है कि हम सबके पास एक ही ज़िन्दगी हैं. इस ज़िन्दगी में उम्र के हर पड़ाव को ऐसे जीना चाहिए की कोई रिग्रेट ना हो.


जब कोई लाइफ में अचीवमेंट की लिस्ट दिखाने को बोले तो बस इतना जवाब दे सकें कि मैं अपने हर डिसीजन से संतुष्ट हूं और नहीं भी हूं तो कुछ सीख जरूर मिली है. सेल्फ-सेटिस्फाइड होना भी एक बड़ी उपलब्धि है. इसकी जरूरत बहुत कम लोग समझते हैं और बड़ी मुश्किल से मिलते है ऐसे लोग.


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