क्या एक मरा हुआ इंसान चुनाव लड़ सकता है? ये सुनकर शायद आप हैरान हो गए होंगे लेकिन ये सच है कि राजस्व के रिकॉर्ड में लाल बिहारी की मृत्यु हो चुकी है. लेकिन फिर भी वह आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने साबित करने के लिए चुनाव लड़ा कि वे जिंदा हैं.
लाल बिहारी 'मृतक संघ' के संस्थापक है, जिसके देश में हजारों सदस्य हैं. वह उन लोगों के लिए लड़ते हैं जिन्हें धोखाधड़ी से राजस्व रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया है. वह 21 साल के थे जब उन्हें राजस्व रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया था. 30 जुलाई 1976 को राजस्व रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया था.
न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध
अपने नाम के आगे मृतक लगाने वाले लाल बिहारी ने कहा कि मैं उन लोगों के लिए न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हूं, जो सरकारी रिकॉर्ड में मर चुके हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि मैंने साबित करने के लिए अदालत में लड़ाई लड़ी और जीत हासिल कर ये साबित हो चुका है कि मैं जीवित हूं. 18 साल के संघर्ष के बाद उन्हें 30 जून 1994 को जीवित घोषित कर दिया गया उन्होंने कहा कि यूपी में ऐसे हजारों लोग हैं जो जिंदा होते हुए भी मृत घोषित हो चुके हैं. उनके अनुसार, मृत घोषित होने के बाद उनकी संपत्ति को लोग हड़पना चाहते थे.
इससे पहले बिहारी लाल ने तीन लोकसभा चुनाव लड़ा था. उन्होंने पहली बार 1988 में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था. उसके बाद 1989 में अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म भी है, जिसका निर्देशन सतीश कौशिक ने किया है. पंकज त्रिपाठी ने मृतक की भूमिका निभाई थी.
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