Viral News: गैरकानूनी तरीके से बनी दूसरी बीवी, फिर भी मिल गई पति की पेंशन, जानें क्यों सुनाया गया ऐसा फैसला?
ऐसा एक मामला सामने आया है, जिसमें दूसरी पत्नी को पति की पेंशन देने का फैसला सुना दिया गया.
हिंदू रीति-रिवाज में बिना तलाक लिए दूसरी शादी करना गैरकानूनी माना जाता है. अगर कोई कानून की परवाह किए बिना दूसरी शादी कर भी लेता है तो उस महिला को पत्नी का दर्जा तक नहीं मिलता, लेकिन ऐसा एक मामला सामने आया है, जिसमें दूसरी पत्नी को पति की पेंशन देने का फैसला सुना दिया गया. अब इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. काफी लोग इस फैसले के पक्ष में हैं तो कुछ लोगों ने इस फैसले पर नाराजगी भी जताई है. आइए आपको पूरे मसले से रूबरू कराते हैं.
यह है पूरा मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पेंशन को लेकर एक मामले में फैसला सुनाया. अदालत ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस मामले में दूसरी पत्नी को पेंशन देने का आदेश दिया. गौर करने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट खुद ही कई मामलों में बिना तलाक लिए दूसरी शादी को गैरकानूनी करार दे चुका है. पेंशन वाले इस मामले में भी दूसरी महिला की जब शादी हुई तो उस शख्स की पहली पत्नी जीवित थी. ऐसे में अदालत के फैसले पर काफी चर्चा हो रही है.
23 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी महिला
जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की. उन्होंने संविधान के आर्टिकल 142 के तहत मिली स्पेशल पावर इस्तेमाल करते हुए महिला को पेंशन देने का आदेश जारी किया. बता दें कि महिला का पति साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड में जॉब करता था. 2001 में उसके पति की मौत हो गई, जिसके बाद करीब 23 साल से महिला पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही थी.
कोर्ट ने क्यों दिया ऐसा आदेश?
अदालत ने इस आदेश के पीछे की वजह भी बताई है. कोर्ट ने कहा, 'पत्नी के रूप में महिला को लेकर किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं पाया गया. हालांकि, यह बात जरूर थी कि जब उसने शादी की, तब उस शख्स की पहली पत्नी जीवित थी. इसके बाद तीनों लोग (पुरुष और दोनों महिलाएं) एक साथ एक ही घर में रहे.' अदालत ने कहा कि इस मामले में तथ्य काफी अजीब थे, लेकिन महिला को न्याय दिलाने के मकसद से विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया गया. अदालत ने जिरह के दौरान पाया कि जय नारायण महाराज की पहली पत्नी राम सवारी देवी का निधन 20 अप्रैल 1984 को हो गया था. इसके बाद वह और राधा देवी एक साथ रहे और एक-दूसरे का ध्यान रखते थे. राधा देवी की उम्र काफी ज्यादा हो चुकी है और ऐसे में उनके पत्नी होने के दर्जे को नकारना नहीं चाहिए. वह फैमिली पेंशन पाने की हकदार हैं. अदालत ने राधा देवी को 1 जनवरी 2010 से अब तक की पेंशन तत्काल प्रभाव या 31 दिसंबर तक देने का फैसला सुनाया. अदालत ने आदेश दिया है कि राधा देवी को आखिरी सांस तक फैमिली पेंशन दी जाए.
सोशल मीडिया पर ऐसी रही यूजर्स की राय
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा हो रही है. कुछ लोगों ने कहा कि अदालत ने एकदम सही फैसला सुनाया है. जिस महिला ने दूसरी औरत होने के बावजूद ताउम्र अपने पति का ख्याल रखा और पहली पत्नी को भी उससे कोई आपत्ति नहीं थी तो वह पेंशन पाने की हकदार है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न्याय पर विश्वास बढ़ा है. वहीं, कई लोग इस फैसले से सहमत नहीं दिखे. उनका कहना था कि इस आदेश के बाद ऐसे मामलों की संख्या बढ़ने का खतरा है. इससे सरकार और कंपनियों की मुसीबत बढ़ सकती है.
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