आजकल कोविड 19 से लड़ने के लिए इंटरनेट पर कई सारी मोटिवेशनल पोस्ट देखने को मिल रही हैं. वहीं कुछ मीम और पोस्ट उन लोगों के लिए भी शेयर किए जा रहे हैं जिनकी आंखें इस संकट की घड़ी में भी बंद हैं और वो कोविड के प्रति अभी भी लापरवाह बने हुए हैं. दरअसल एक तस्वीर है जिसे इंटरनेट पर अक्सर मीम के रूप में शेयर किया गया है. इस तस्वीर में एक सैनिक किसी मैदान पर एक गधे को हाथ पर उठाए नजर आ रहा है. यहां इस गधे की तुलना उन लोगों से की जा रही है जो अभी भी कोरोना वायरस के प्रति सतर्क नहीं हुए हैं. वहीं हाल में इस तस्वीर को बायोकॉन की अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ ने शेयर किया है. तस्वीर को लेकर दावा किया गया है कि ये द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की है. लेकिन जब तथ्य जांच करने वाली वेबसाइट स्नोप्स ने इस पर जांच की तो पता लगा कि इसका विश्व युद्ध से कोई लेना देना नहीं है. ये सिर्फ एक मीम के लिए शेयर की जाने वाली तस्वीर है, जिसमें गधे की तुलना इंसानों से की जा रही है.


मीम के रूप में शेयर हो रही तस्वीर


रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय ये तस्वीर पेरिस मैच, डेली मेल और डेली मिरर जैसे समाचार पत्रों में छपी थी. वहीं अब दशकों बाद फोटो ने मीम का रूप ले लिया है. 6 अप्रैल 2020 को कोरोना वायरस की ब्रीफिंग के दौरान न्यू जर्सी के गवर्नर फिल मर्फी ने भी इसे साझा किया था.



क्या है तस्वीर के पीछे की असली वजह?


स्नोप्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि  फोटो वास्तव में साल 1958 के अल्जीरियाई युद्ध की है और इसमें एक गधा दिखाया गया है जिसे फ्रांसीसी विदेशी सेना के सदस्यों में से एक ने बचाया था. जिसके बाद सिपाही ने जानवर को अपने बेस पर पहुंचाया और आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान की. फिर इस गधे को अपना कर इसे 'बांबी' नाम दिया गया था. वहीं स्नोप्स ने लेखक डगलस पोर्च के हवाले से भी लिखा है, जिन्होंने साल 1991 में अपनी किताब लीजन के इतिहास में कहा था कि सेना ने उस समय बंदर, लोमड़ी और सारस जैसे कई जानवरों को अपनाया था.


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