दुनिया का एक ऐसा शहर, जहां लोगों को एस्केलेटर पर चलने की है सख्त मनाही, जानिए क्या है कारण?
अब आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सा देश है, जिसने लोगों के एस्केलेटर पर चलने पर बैन लगा दिया है और इसके पीछे का आखिर मकसद क्या है. आइए जानते हैं...
दुनिया में जितने भी देश हैं, सबके अपने अलग-अलग नियम कानून हैं. हर देश अपने लोगों और हालातों को देखकर कोई नियम या कानून बनाता है, जिसका पालन सभी नागरिकों को करना पड़ता है. अब दुनिया का एक ऐसा देश है, जहां के लोगों को एस्केलेटर पर चलने से मना कर दिया गया है. जी हां आप सही सुन रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सा देश है, जिसने लोगों के एस्केलेटर पर चलने पर बैन लगा दिया है और इसके पीछे का आखिर मकसद क्या है. आइए जानते हैं...
दरअसल ये देश और कोई नहीं, बल्कि जापान है. जापान के नागोया शहर में एक अध्यादेश लाया गया था. इस अध्यादेश में कहा गया था कि लोगों द्वारा एस्केलेटर के इस्तेमाल को बैन किया जाना चाहिए. यह नया नियम एक अक्टूबर से नागोया में लागू हो चुका है. यानी यहां अब लोगों को एस्केलेटर का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी. जानकारी के मुताबिक, इस नियम को बनाने का मकसद लोगों को एस्केलेटर से गिरने से बचाना है और इस तरह की दुर्घटनाओं पर रोक लगाना है.
एस्केलेटर से गिरने की हुईं कई घटनाएं
जापान में पैसेंजर्स के लिए एस्केलेटर के लेफ्ट साइड पर खड़े रहने और जल्दी चढ़ने या उतरने हेतु बाकी लोगों के लिए राइट साइड का रास्ता खुला रखने का नियम है. ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जब लोग अपनी हड़बड़ाहट के कारण दूसरों को एस्केलेटर से गिरा देते हैं या उन्हें चोट पहुंचाते हैं. इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, बुजुर्गों और विकलांग लोगों को धक्का-मुक्की, टकराव या दुर्घटनाओं से बचाने के लिए एस्केलेटर पर खड़े रहने के नियम को बढ़ावा दिया गया. हालांकि इस नियम का कोई फायदा देखने को नहीं मिला.
एस्केलेटर का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं लोग!
जापान एलिवेटर एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 और 2019 में टोटल 805 एस्केलेटर हादसों का कारण इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करना था. कई लोग गलत तरीके से एस्केलेटर का इस्तेमाल करते थे. इसी वजह से इसपर कई तरह के हादसे देखने को मिले हैं. नया आदेश लागू करने के बाद सरकार लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रमुख रेलवे स्टेशन्स पर पोस्टर और विज्ञापन भी चला रही ही है. बता दें कि नागोया ऐसा पहला शहर नहीं है, जहां इस तरह का कोई अध्यादेश लाया गया है. इससे पहले अक्टूबर 2021 में सैतामा शहर की सरकार ने भी कुछ इसी तरह के नियम लागू करवाए थे.