नई दिल्ली: भाई बहन के रिश्ते को मजबूत करने के लिए हर साल 10 अप्रैल को सिबलिंग डे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि इस साल कोरोना वायरस की वजह से इस पर्व की धूम फीकी पड़ गई है. क्योंकि इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं या फिर बहनें अपने भाइयों के घर इस खास रिश्ते के खास दिन को मनाने जाती हैं.


दुनिया के तमाम रिश्तों में भाई-बहन का रिश्ता एक अलग अहमियत रखता है. बचपन में खिलौने को लेकर लड़ाई से लेकर बहन की शादी तक भाई बहन के रिश्ते में कई हसीन पल खूबसूरत यादें बन जाते हैं. छोटी छोटी बात पर रूठना मनाना इस रिश्ते में काफी आम होता है.


क्यों मनाया जात है सिबलिंग डे?


10 अप्रैल को बहुत ही कम उम्र में अपने भाई (एलन) और बहन (लिसेट) को खोने के बाद एक अमेरिकी नागरिक क्लाउडिया एवार्ट ने 1995 में 10 अप्रैल को सिबलिंग डे के रूप में मनाया. उसकी मृत बहन लिस्केट की याद में जिसका जन्मदिन 10 अप्रैल को होता है. एवार्ट ने भाई-बहनों के बीच के संबंधं को सम्मान देने के लिए इस दिन को सिबलिंग डे के रूप में मनाना शुरू किया. एवार्ट ने कहा कि उसने यह सुनिश्चित करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है कि भाइयों और बहनों के बीच के विशेष बंधन को हमेशा एक विशेष उपहार के रूप में मान्यता दी जाए.


सिबलिंग डे फाउंडेशन


इवार्ट अपने भाई-बहनों की मृत्यु के बाद सिबलिंग डे फाउंडेशन की स्थापना की. वह तब से सिबलिंग डे फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं. इसकी स्थापना साल 1997 में हुई थी और साल 1999 में इसे गैर-लाभकारी दर्जा प्राप्त हुआ.


अमेरिका के कई राज्यों में होता है सेलिब्रेट


1998 के बाद से 49 अमेरिकी राज्यों में सिबलिंग डे मनाया जाता है, लेकिन संयुक्त राज्य में इस दिन को संयुक्त रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है. एवार्ट की फाउंडेशन संयुक्त राज्य अमेरिका में मान्यता प्राप्त अवकाश के लिए सिबलिंग डे बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. सिबलिंग डे फाउंडेशन का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र की मदद से इस दिन को एक अंतरराष्ट्रीय अवकाश बनाना है. बराक ओबामा सहित पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भाई-बहनों के बीच बंधन के महत्व और इस विशेष बंधन को मनाने की आवश्यकता को स्वीकार किया है.


ये भी पढ़ें


ट्रंप के बाद इजरायल के पीएम नेतन्याहू ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सप्लाई पर पीएम मोदी का कहा शुक्रिया
कोरोना वायरस: UNSC की बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र का बयान, महामारी का आतंकी उठा सकते हैं फायदा