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प्रहार: यूपी में आखिर किसका राज है ? कानून व्यवस्था पर उठते सवाल
अपराधी डरकर या तो राज्य से बाहर चले गए हैं...या जमानत रद्द कर जेल में बंद हैं...ये वो बयान था...जिसने राज्य के लोगों को हौसला दिया था...नई उम्मीद दी...हिम्मत बढ़ाई...कि अब अपराधियों के डर से कोई बच्ची स्कूल जाना बंद नहीं करेगी...किसी लड़की के साथ कोई मनचला छेड़खानी करने से डरेगा...रेप जैसी जघन्य घटनाओं पर विराम लगेगा...हमारे जीवन भर की जमा पूंजी को कोई बंदूक की नोक पर उठा नहीं पाएगा...अब यूपी में ना मर्डर होगा, ना बलात्कार, ना लूट होगी, ना फिरौती मांगी जाएगी... लेकिन क्या अब उम्मीद की वो दीवार ढह रही है ? आंकड़े और रोजाना होती घटनाएं तो इस बात की ही तस्दीक करती हैं... दूसरे तरफ रवायती बैठकें भी होती हैं...जो लखनऊ में हुईं...बैठक में कानून व्यवस्था पर तमाम आलाधिकारियों के साथ चर्चा भी हुई... बहरहाल, एक तरफ लखनऊ में कानून के रखवालों की मेज सजी थी...कुर्सियों पर जनता को भयमुक्त वातावरण देने वाले, अपराधियों से बचाने वाले...जनता के तारणहार बैठे हुए थे...पुलिस-प्रशासन कितना शानदार काम कर रहा है... उस पर चर्चा हुई...ठीक उसी वक्त मथुरा में पुलिस की ऐसी तस्वीर एबीपी गंगा दिखा रहा था... जहां पुलिसकर्मी खुद की जान की सलामती के लिए भागते नजर आए... गाड़ियों के पीछे छिपते-छिपते खाकी अपने डर का बदसूरत चेहरा छुपा रही थी...ये एक घटना तो उदाहरण भर है... रोजाना कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाली तस्वीरें दिखती हैं... कुल मिलाकर कहें तो बयानबाजी...वादा करना...भरोसा दिलाना...सब बातें हैं बातों का क्या...ठीक उसी तरह अगर यूपी में पुलिस कहे कि क्राइम कंट्रोल में है... तो ये भी महज़ बातों से ज्यादा कुछ नहीं...आज प्रहार इसी पर...
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