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प्रहारः 370 पर कांग्रेस का दोहरा रवैया क्यों ?
आज का प्रहार कांग्रेस की उस दोहरी सियासत पर....जिसमें उसे यूपी के सोनभद्र के लोगों की तकलीफ तो दिख रही है...मगर जम्मू-कश्मीर को लेकर उसकी पार्टी में बंटी राय को लेकर राहुल और प्रियंका जैसे नेताओं का रुख स्पष्ट नहीं है...दरअसल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी मंगलवार को सोनभद्र के उंभा गांव दौरे पर जा रही है...जहां वो एक बार फिर नरसंहार के पीड़ितों से मिलेंगी...उनके दुख दर्द को समझेंगी...हादसे के तकरीबन एक महीने बाद उनके घावों के मरहम को टटोलेंगी...लेकिन देश हित के सबसे बड़े मुद्दे अनुच्छेद 370 पर प्रियंका ने अब तक अपना पक्ष नहीं रखा है....राहुल गांधी ने भी बोला तो सरकार पर हमला किया...उन्होंने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए...हालांकि फिर भी कांग्रेस नेताओं की राय इसे लेकर एक नहीं दिखाई दी...अलग-अलग नेताओं ने अलग-अलग बयान दिए...इसका नतीजा ये हुआ कि पार्टी की किरकिरी सदन से लेकर सड़क और सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक दिखाई दी...ज़ाहिर है कांग्रेस की दुविधा इसकी संवैधानिक स्थिति से ज्यादा सियासी स्थिति को लेकर है...क्योंकि अनुच्छेद 370 का फैसला कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय में लिया गया था...हालांकि इसे अस्थायी तौर पर अमल में लाया गया था...लेकिन समय के साथ ये स्थायी तौर पर जम्मू-कश्मीर पर चिपक गया...चूंकि जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल राज्य था...और यहां हिंदू राजा हरि सिंह का शासन था...बावजूद इसके जम्मू-कश्मीर का विलय शर्तों के साथ हिंदुस्तान में हुआ...लेकिन आज चिदंबरम जैसे नेता अनुच्छेद 370 को हटाने के पीछे मुस्लिम राज्य का मुद्दा बना रहे हैं...दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह ने कहा है कि सरकार ने अपने हाथ आग में झुलसा दिए हैं। कश्मीर को बचाना हमारी प्राथमिकता है...दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं मोदीजी, अमित शाह जी और अजीत डोभाल जी से अपील करता हूं कि सतर्क रहें नहीं तो हम कश्मीर खो देंगे...ज़ाहिर है कांग्रेस इस मुद्दे को मजहब से जोड़ कर एक सियासी माइलेज लेने की कोशिश कर रही है...
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