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प्रहारः क्या बेमानी हैं नारी सशक्तिकरण के नारे ?
कहते हैं कि आप लाख कोशिशें कर लें नई उड़ान की...लेकिन जब तक आपके दिल-दिमाग में उड़ सकने की साकारात्मक सोच और ऊर्जा ना हो तब तक तमाम कोशिशें बेकार है....देश में बेटियों को लेकर भी स्थिति कमोवेश यही है...जरा सोचिए उस समाज की सोच कितनी जहरीली होगी जो महज इस बात को लेकर लाल हो जाता है कि एक बेटी कैसे बुलेट की सवारी कर सकती है....मामला राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा का है....जहां एक बेटी ने बुलेट क्या चलाई कुछ पुरूषवादी मानसिकता से ग्रस्त बीमारू लोगों को जैसे मिर्ची लग गई....मामूली कहासुनी तक बात रूक जाती तो भी समझा जा सकता था...लेकिन समाज के ऐसे पिछड़े सोच वाले चंद कलंकों ने उस बेटी के घर पर फायरिंग कर दी...इतना ही नहीं पीड़ित परिवार को पुलिस से शिकायत ना करने की भी धमकी दी.....बाद में दबंगो ने दावा किया कि दोनों पक्षों में पंचायत के जरीए सुलह करवा दी गई है.... लेकिन इसको लेकर पीड़ित परिवार की तरफ से कुछ नहीं कहा गया.....हालांकि पुलिस भी इस मामले में जल्द कार्रवाई करने का दावा कर रही है.....ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आज भी पुरूषवादी मानसिकता समाज पर हावी है? क्या बेटी की बुलेट राइडिंग कोई अपराध है? क्या हमारा समाज बेटियों को आगे बढ़ाने को लेकर सिर्फ नारों तक ही सिमटा हुआ है? क्या समाज के ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई कर एक नज़ीर पेश करने का वक्त आ गया है....आज की बहस इसी मुद्दे पर होगी....आज समाज के ऐसे ही कलंकित सोच पर हम करेंगे प्रहार !
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