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राजनीति: पुलिस पर बढ़ते हमले सरकार के रसूख को चुनौती ?
उत्तर प्रदेश की सरकार दावा करती है कि अपराधियों के खिलाफ उसके अभियान का खौफ ऐसा होगा कि अपराधी या तो जेल के अंदर होंगे या फिर प्रदेश के बाहर लेकिन बीते 24 घंटों में दो मामलों ने सूबे की जनता के सामने ढेरों सवाल खड़े किए हैं। सोनभद्र में जहां खूनी संघर्ष में 10 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी तो वहीं संभल में पेशी से लौट रहे कैदियों में से तीन कैदियों ने दो सिपाहियों को गोलियों से भून कर उनकी हत्या कर दी और फरार हो गए। इन दोनों मामलों का ताल्लुक सीएम की उस सख्ती से भी है। जिसमें निकम्मे, भ्रष्टाचार में लिप्त और लापरवाह पुलिसवालों पर कार्रवाई हो रही है क्योंकि सीएम की सख्ती के खौफ से अब तक कई पुलिसवालों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। प्रदेश में लगातार पुलिस की गोलियों के निशाने पर बदमाश आ रहे हैं। बावजूद इसके अपराधियों का दुस्साहस कम होने का नाम नहीं ले रहा है बल्कि अपराध की वारदातें खौफनाक होती जा रही है। जिसमें कभी बेगुनाह लोग शिकार बन रहे हैं तो कभी पुलिसवाले। इससे पहले इसी महीने में कन्नौज, रामपुर और प्रदेश के दूसरे ज़िलों में पुलिसवालों पर हमले या उनसे संघर्ष जैसी वारदातें हो चुकी हैं सवाल यही है कि पुलिस पर बढ़ते हमले सरकार के रसूख को चुनौती ?
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