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राजनीतिः मजहब के नाम पर यूपी में फिर सियासी गोलबंदी ?
लोकसभा चुनावों को खत्म हुए बमुश्किल 60 दिन हुए होंगे...और विधानसभा चुनावों में 2 साल से ज्यादा का वक्त...लेकिन प्रदेश में सियासी माहौल गरम हो उठा है...खास कर ध्रुवीकरण को लेकर....इसे समझना मुश्किल नहीं है...प्रदेश में दो बयानों ने उसी राह पर सियासत को मोड़ने की कोशिश की है...एक बयान जहां सपा विधायक की तरफ से आया है...तो दूसरा बयान शिया धर्म गुरू हालांकि शिया धर्म गुरू ने अपने बयान से पलटी मार ली है...लेकिन कैराना के विधायक को लेकर सरकार अब इस बयान को जांच और कार्रवाई के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है...दरअसल प्रदेश सरकार के लिए बीते कई दिनों की घटनाओं ने जिस तरह से कानून व्यवस्था के सवाल खड़े किए हैं...उसे हवा देने में इन बयानों के बड़े मायने हैं...क्योंकि सवाल कारोबार और हथियार से जुड़ा है...जिसमें एक मजहब के खिलाफ...मजहबी लोगों को भड़काने की कोशिश की जा रही है...ज़ाहिर ऐसे बयान अक्सर चुनावों में देखे और सुने जाते रहे हैं...लेकिन बिना किसी सियासी वजह के इन बयानों को देने का मकसद समझ से परे हैं...यही वजह है कि शंका बढ़ जाती है कि मिशन 2022 के लिए विपक्षी अब मजहबी आधार पर ध्रुवीकरण को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं...सवाल यही है कि
मजहब के नाम पर यूपी में फिर सियासी गोलबंदी ?
मजहब के नाम पर यूपी में फिर सियासी गोलबंदी ?
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