राजनीतिः सोनभद्र नरसंहार पर सिर्फ राजनीति कर रहे विरोधी दल ?
ABP News Bureau
Updated at:
23 Jul 2019 06:55 PM (IST)
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सोनभद्र के घाव भरने की कोशिश में सरकार भले ही जुटी है...लेकिन सियासत इन घावों को इतनी जल्दी नहीं भरने देगी...सोनभद्र को लेकर अचानक सक्रिय हुआ विपक्ष इस मुद्दे पर हर दिन...अपने बयानों और एक्शन से सरकार को घेरने में जुटा है....पीड़ितों के साथ खड़े होने की बात कह कर वो सरकार पर इल्जामों की बौछार कर रहा है...एक नाजुक और संवेदनशील मसले पर सियासत का ये रुख नया नहीं है...लेकिन किसी के घाव पोंछने के बहाने दूसरे को दोषी साबित करते जाना...इंसानी फितरत है...ज़ाहिर है नेता भी इससे अछूते नहीं है...लेकिन असल सवाल उस संवेदना का है...जो अपनी-अपनी सरकारों में दिखाई देनी चाहिए थी...वो क्यों नदारद थी...इसका जवाब शायद ही कोई दे...क्योंकि ये मसला 1955 से उठने लगा...और इसमें कई बार निर्णायक मोड़ भी आते रहे...इन मोड़ पर पहले की सरकारें चाहतीं तो स्थाई समाधान निकाल कर...इसे हमेशा के लिए खत्म कर सकती थीं...मगर किसी ने ऐसा नहीं किया...लेकिन अब जब इस मामले में योगी सरकार ने फाइनल कॉल यानी जड़ से निपटारे का फैसला किया है...ये कहते हुए इस विवाद के लिए पहले की सरकारें जिम्मेदार हैं...तो विपक्ष बुरा मान रहा है...सवाल यही है कि
सोनभद्र नरसंहार पर सिर्फ राजनीति कर रहे विरोधी दल ?
सोनभद्र नरसंहार पर सिर्फ राजनीति कर रहे विरोधी दल ?