राजनीतिः वन नेशन, वन इलेक्शन को हकीकत बना पाएंगे मोदी ?
ABP News Bureau
Updated at:
19 Jun 2019 08:04 PM (IST)
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विविधता में एकता...भारत की व्याख्या इसी तर्ज पर होती आई है...लेकिन अगर सियासी और चुनावों के लिहाज से इस विविधता को देखें...तो कई चुनौतियां हैं...जिसमें चुनाव का खर्च, सरकारी खजाने पर बोझ और आचार संहिता की वजह से लगने विकास के कामों पर ब्रेक जैसे बड़े मुद्दे शामिल है...जिन्हें लेकर मोदी सरकार लगातार मंथन कर रही है...और मान कर चल रही है कि सभी दलों और राज्यों की सहमति बनी कम से कम विकास के लिहाज से वन नेशन, वन इलेक्शन का फैसला होता है...तो ये राष्ट्रहित में होगा...हालांकि सरकार से अलग विपक्ष की अपनी चिंताए हैं...इनमें सपा, डीएमके और टीएमसी जैसे क्षेत्रीय क्षत्रप हैं...तो वहीं बीएसपी और वाम दलों जैसे राष्ट्रीय संगठन भी...व्यावहारिक तौर पर ये लोग इस फैसले के विरोध में है...इन सभी की दलील है कि फैसले से संघीय ढांचा बदल जाएगा...इसके साथ मुद्दों के साथ होने वाली प्रदेश की सियासत को लेकर भी विपक्ष के दल फिक्रमंद हैं...जबकि इस मसले पर आगे बढ़ने के लिए सरकार के लिए संविधान संशोधन भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।