Indore हो या Ajmer, भीड़ को कानून हाथ में लेने का हक किसने दिया? | घंटी बजाओ
अफगानिस्तान में तालिबानी जुल्म की तस्वीरों के बीच पिछले दो दिनों में हिंदुस्तान के दो अलग अलग शहरों में भी ऐसी तस्वीरें देखने को मिलीं जिन्हें देखकर ये सवाल उठता है कि क्या तालिबान सिर्फ अफगानिस्तान में हैं या फिर अफगानिस्तान के तालिबानी चेहरों के अलावा एक तालिबानी सोच भी है जो दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फैल चुकी है । नफरत फैलाना, बेरहमी से लोगों को मारना, बीच सड़क पर सजा देना - ये सब उसी सोच का हिस्सा है । राजस्थान के अजमेर में कुछ लोगों ने एक फकीर को पीटा, इंदौर में एक चूड़ी वाले को इसलिए मारा गया क्योंकि वो अपना धर्म छिपा कर चूड़ियां बेच रहा था । हमारा सवाल है कि इन दोनों मामलों में अगर पिटने वाले गलत भी थे तो क्या भीड़ को या कुछ स्वयंभू ठेकेदारों को ये अधिकार मिल जाता है कि वो बीच सड़क पर उन्हें सजा देने लगे...इस तरह की घटनाएं और न बढ़ें इसलिए आज आपको भारत में तालिबानी मानसिकता वाले इन लोगों के खिलाफ घंटी बजानी है