पटना में सचिवालय के बाहर कैसे पहुंची शराब ? | घंटी बजाओ | 18.11.2021
शराब बंदी का फैसला तो नीतीश कुमार बिहार में ले चुके हैं लेकिन शराबबंदी का उनका यह पूरा मॉडल फेल नजर आ रहा है. इस पर कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं. आए दिन नकली शराब की वजह से लोगों की जान जाती है. सरकारी खजाने को राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है. माफिया चांदी काट रहे हैं. इन सब के बीच जब चारों तरफ से नीतीश सरकार पर दबाव पड़ा तो बिहार सरकार ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी कर दिया. अगर किसी इलाके में शराब की बरामदगी होती है तो उसके लिए उस इलाके का चौकीदार जिम्मेदार होगा. वो चौकीदार जिसके हाथ में सिर्फ एक छोटा सा डंडा होता है और जो खुद मामूली सी तनख्वाह पाकर किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहा होता है. सोचिए एक मामूली चौकीदार बड़े शराब माफियाओं से कैसे लोहा लेगा? क्या सरकार अपनी जवाबदेही और जिम्मेदारी से बचने के लिए एक मामूली चौकीदार के सिर टोपी ट्रांसफर का खेल कर रही है?