सरकार और विपक्ष की लड़ाई में जनता के वोट का क्यों हो रहा अपमान? | Parliament Uproar | घंटी बजाओ
विरोध लोकतंत्र का अहम हिस्सा है लेकिन विरोध के नाम पर अगर लोकतंत्र को ही शर्मसार किया जाएगा तो फिर सवाल तो उठेगा. विपक्ष के साथ यही हो रहा है. राज्यसभा में कल जो हुआ उसे लेकर विपक्ष सरकार के निशाने पर है. आरोप लग रहा है कि विपक्षी सांसदों ने सदन में मारपीट की. इसके सबूत के तौर पर एक वीडियो भी जारी हुआ लेकिन विपक्ष इस आरोप को गलत बताते हुए सरकार से ही सवाल कर रहा है कि अगर मॉनसून सत्र में कुछ काम नहीं हो पाया तो इसका जिम्मेदार कौन है? संसद के दोनों सदनों में मॉनसून सत्र के दौरान सिर्फ 49 घंटे काम हुआ...जबकि होना चाहिए था 226 घंटे ...तो फिर बाकी के घंटो में क्या हुआ...शोर, हंगामा, स्थगन और मारपीट. क्या इसीलिए के लिए सांसदों को चुनती है जनता? आखिर क्यों सरकार और विपक्ष की लड़ाई में जनता के वोट का अपमान हो रहा है ? क्यों सांसदों ने संसद को अपनी सियासत का अखाड़ा बना दिया है ?