Sudeeksha Case: कौन देगा सुदीक्षा के पिता के सवालों का जवाब..कब तक होगी इंसाफ के नाम पर लीपापोती?
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View In Appसुदीक्षा न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे गांव का सितारा थी, जिसने न केवल पूरे समाज का बल्कि गांव, प्रदेश और देश का नाम रोशन किया था. सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी का कहना है कि सोमवार सुबह वह अपने चाचा के साथ अपने चचेरे भाई के स्कूल टीसी लेने के लिए जा रही थी. उसे 20 अगस्त को अमेरिका वापस लौटना था.
इसलिए वह चाहती थी कि अपने सामने ही अपने भाई का दाखिला दूसरे स्कूल में करवा दें. सुबह लगभग 9:30 से 10 बजे के आसपास मेरे पास फोन आया तो मुझे पता चला कि उनका एक्सीडेंट हो गया है. उससे पहले मैं सुदीक्षा के फोन पर फोन मिला रहा था. उसने फोन नहीं उठाया. फिर किसी और व्यक्ति ने उसका फोन रिसीव किया और मुझे बताया कि लड़की का तो एक्सीडेंट हो गया है और उसकी बचने की उम्मीद भी बहुत कम है. काफी कोशिशों के बाद भी सुदीक्षा की जान न बच सकी.
सुदीक्षा भाटी ने न केवल दादरी के डेयरी स्कैनर गांव का बल्कि उत्तर-प्रदेश और भारत का नाम भी रोशन किया. सुदीक्षा महज 19 साल की थीं, लेकिन इतनी छोटी सी उम्र में सुदीक्षा गरीब बच्चों की पढ़ाई को लेकर काम शुरू कर चुकी थीं. उसने इसके लिए अमेरिका की कुछ एनजीओ से बात भी की थी.