Panjshir में Taliban की मदद कर रहा Pakistan, क्यों चुप है दुनिया और UN? | हुंकार | Rubika Liyaquat
15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा हुआ और उसके फ़ौरन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बयान दिया कि तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान को ग़ुलामी की बेड़ियों से आज़ाद कराया... तालिबान और अफ़ग़ानिस्तान का ये याराना वैसे तो सबको मालूम है लेकिन अभी तक ये दोस्ती पर्दे के पीछे छिपकर ज़्यादा होती थी...लेकिन अब तो खुलेआम पाकिस्तान और तालिबान एक-दूसरे को गले लगा रहे हैं...तालिबान की नई हुकूमत को लेकर चर्चा के बीच पाकिस्तान ने अपनी खुफिया एजेंसी ISI के चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद को काबुल भेजा है... इस दौरे का मक़सद भी आसानी से आप समझ सकते हैं...पाकिस्तान इस फिराक में है कि नई हुकूमत में ज़्यादा से ज़्यादा हक़्क़ानी नेटवर्क से जुड़े लोगों को मौक़ा मिले..ताकि अफ़ग़ानिस्तान को भारत के ख़िलाफ़ आतंक की ज़मीन बनाया जा सके...ISI चीफ़ के दौरे के बीच में ही तालिबान ने पंजशीर पर भी कब्ज़ा कर लिया है...और आरोप लग रहे हैं कि पाकिस्तान ने पंजशीर पर तालिबान के कब्ज़े में अहम भूमिका निभाई है...पाकिस्तानी मिसाइल और ड्रोन की मदद से तालिबान ने पंजशीर पर कब्ज़ा किया है...ख़ुद अहमद मसूद ने इसकी गवाही दी है जो पंजशीर में लड़ रहे नॉर्दर्न रेजिस्टेंस फ्रंट के प्रमुख हैं...लेकिन सवाल ये है कि पाकिस्तान के इस तरह खुलेआम आतंक को बढ़ावा देने और दूसरे देश के मामलों में दखल पर दुनिया क्यों चुप है...