Muslim Alimony: महिलाओं के फैसले पर सवाल..मजहब को बनाया ढाल! | AIMPLB
शरिया लॉ या संविधान...किधर जाएंगे मुसलमान?....ये सवाल मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता के अधिकार पर AIMPLB के रुख से उठा है...दरअसल 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया...सुप्रीम कोर्ट ने कहा CrPC की धारा 125 सभी पर लागू होती है...धारा 125 ये तय करती है...कि महिला किसी भी धर्म की हो...उसे तलाक की स्थिति में पति से गुजारा भत्ता लेने का अधिकार है...सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शरीयत के खिलाफ बताया है...AIMPLB के मुताबिक तलाक की स्थिति में मुस्लिम महिलाओं को इद्दत की अवधि तक ही गुजारा पाने का हक है...AIMPLB ने जोर देकर कहा है...कि शरीयत को दरकिनार नहीं किया जा सकता...महजब के तहत जिंदगी गुजरना हमारा मौलिक अधिकार है.. AIMPLB की ओर से ये भी कहा गया है...वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऊपरी बेंच में चुनौती देगा...अब सवाल है...कि जब संविधान बराबर का अधिकार देता है...तो फिर मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ते पर तकरार क्यों हो रही है? महिलाओं के हक पर अडंगा लगाने के पीछे AIMPLB की मंशा क्या है? क्या 'सुप्रीम' पर सवाल उठाने के लिए मजहब को ढाल बनाया जा रहा है..