Maharashtra Elections: एकनाथ शिंदे के गढ़ कोपरी पाचपाखाडी में कैसा है जनता का मिजाज? | ABP News
एबीपी न्यूज़ की बुलेट टीम का सफर आदित्य ठाकरे की वर्ली सीट से शिंदे की सीट कोपरी पाचपाखाडी पहुंच गया है...उस सीट पर जहां शिंदे के नाम का सिक्का चलता है.... इस रेलवे स्टेशन से हजारों की संख्या में लोग रोजाना मुंबई और आस पास के इलाकों में काम धंधे के लिए जाते हैं... इसलिए सबसे पहले हमने रेलवे स्टेशन का रूख किया जिसे मुंबई-ठाणे की लाइफलाइन कहा जाता है...पिछले 2 दशक से भी अधिक समय से कोपरी पाचपाखाडी को शिवसेना या फिर एकनाथ शिंदे का गढ़ कहे तो गलत नहीं होगा.... लेकिन इस बार का चुनाव अलग है... चुनौती अलग है.... विरोधी अलग है... दांव-पेंच अलग है.... एकनाथ शिंदे के सामने उद्धव ठाकरे ने केदार दिघे को उतारा है...केदार दिघे के चुनावी मैदान में उतरने से कोपरी पाचपाखाडी का मुकाबला रोमांचक हो गया है... मुंबई शिवसेना की जन्म स्थली रही तो ठाणे बाला साहेब ठाकरे की चुनावी राजनीति की पहली कर्मस्थली। 1966 में शिवसेना के गठन के अगले ही साल यानी 1967 में ठाणे नगर निगम की 17 सीटों पर चुनाव जीत कर अपनी सियासी धमक का अहसास महाराष्ट्र को कराया। जिस ठाणे से शिवसेना का सियासी रेलगाड़ी ने रफ़्तार पकड़ी थी वो शिवसेना तो है लेकिन चुनावी लड़ाई में रेल की पटरियों की तरह एक दूसरे के आमने सामने हैं। शिवसेना से बगावत करके पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह के आधिकारिक दावेदार एकनाथ शिंदे कोचरी पचपखडी से चुनाव मैदान में हैं तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने केदार दिघे को शिंदे के खिलाफ उतारा है जो एकनाथ शिंदे के राजनीतिक गुरु रहे धर्मवीर आनंद दिघे के भतीजे हैं