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क्या चुनाव में धार्मिक नारों और प्रतीकों का इस्तेमाल करना सही है? | संविधान की शपथ | 12 March 2021
पश्चिम बंगाल की चुनावी लड़ाई बुनियादी मुद्दों और सवालों के बजाय अब धार्मिक प्रतीकों और धार्मिक नारों पर आ गई है. खुद ममता बनर्जी भी अब हिंदू कार्ड खेलने में पीछे नहीं हैं. दो दिन पहले ही नंदीग्राम में जब उन्होंने पर्चा भरा, वो मंदिर गईं. पूजा-अर्चना की. खुद की आस्था की सार्वजनिक नुमाइश करने का कोई मौका नहीं छोड़ा. यहां तक कि ममता ने मंच पर ही चंडी पाठ भी किया. चूंकि बंगाल चुनाव में मूल मुद्दों के बजाय ध्रार्मिक मसलों का जोर है...लिहाजा सवाल भी वैसे ही पूछे जा रहे हैं. वैसे चुनाव में धर्म का ऐसा घालमेल पहली बार नहीं हो रहा है...ये बात अलग है कि चार साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ अपने फैसले में कह चुकी है कि कि चुनाव में धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकते. इसीलिए आज संविधान की शपथ में सवाल ये कि नेताओं का चुनाव में धार्मिक नारों और धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करना क्या सही है ?
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अशोक वानखेड़ेवरिष्ठ पत्रकार
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