जहांगीरपुरी हिंसा के कारण इलाके में तनाव का माहौल है. पुलिस की तैनाती के बाद हिंसा का असर मासूमों की पढ़ाई पर नजर आ रहा है. जिस जगह पर हिंसा हुई वहां से महज 200 मीटर से भी कम दूरी पर रानी चेन्नम्मा स्कूल है और सोमवार को स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या 20% से कम भी कम है. इसका मतलब है कि आज तकरीबन 80% बच्चे स्कूल नहीं आए हैं. 


स्कूल की खाली तस्वीरें इस बात का सबूत हैं कि इलाके के लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजते हुए फिलहाल कतरा रहे हैं. एबीपी न्यूज की टीम ने हेड ऑफ स्कूल किरन यादव से बात की. उन्होंने कहा, 'आज बच्चे बहुत कम आए हैं, लोगो में डर है. लेकिन आज का दिन शांति से गुज़र जाता है तो शायद एक-दो दिन में हालात सामान्य हो जाएंगे.' 


शनिवार शाम को जहांगीरपुरी इलाके में दो समुदायों के बीच हिंसा हुई और उस हिंसा में पथराव भी हुआ. इसमें कई पुलिस कर्मी भी घायल हुए. इस मामले में पुलिस ने अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस इलाके में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग घनी आबादी में रहते हैं. हिंसा की घटना के बाद इलाके में पुलिस फ़ोर्स तैनात है, जिसमें दिल्ली पुलिस के साथ साथ पैरामिलिट्री फोर्सेज भी इलाके की स्थिति को काबू करने के लिए तैनात की गई है. 


गौरतलब है कि जहांगीरपुरी हिंसा मामले की जांच औपचारिक तौर पर क्राइम ब्रांच के हवाले की गई है. एक डीसीपी की देखरेख में 5 एसीपी, 10 इंस्पेक्टरों की टीम बनाई गई है. सबको अलग-अलग काम सौंपा गया है. 14 एंगल्स को ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच जांच करेगी.


जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली जा रही शोभायात्रा पर हुए पथराव के बाद उपद्रव शुरू हुआ था. क्राइम ब्रांच की टीम यह जांच करेगी कि कितनी संपत्ति (प्राइवेट-पब्लिक) का नुकसान हुआ है. बांग्लादेशी एंगल से भी जांच की जाएगी क्योंकि न केवल लोग बल्कि राजनीतिक हस्तियां भी जहांगीरपुरी मामले में बांग्लादेशी लोगों के शामिल होने का आरोप लगा चुके हैं. फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (एफआरएस) तकनीक से भीड़ में उपद्रव करने वालों को पहचानने का प्रयास किया जाएगा. 


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