विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्स्टेक) के सदस्य देशों को आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला सामूहिक रूप से करना चाहिए. जयशंकर ने विशेष रूप से संपर्क, ऊर्जा और समुद्री क्षेत्र में सहयोग को तेज करने एवं इसे विस्तार देने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. कोलंबो में 18वीं बिम्स्टेक मंत्रिस्तरीय बैठक में जयशंकर ने यह भी कहा कि बंदरगाह केंद्रों, नौका सेवाओं, तटीय जहाजरानी, ग्रिड कनेक्टिविटी और मोटर वाहनों की आवाजाही पर सहयोग महत्वपूर्ण है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, अंतरराष्ट्रीय अपराध, साइबर हमले और मादक पदार्थ तस्करी का सामूहिक रूप से मुकाबला करना चाहिए.’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘विशेष रूप से संपर्क, ऊर्जा और समुद्री सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और उसे विस्तार देने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया.’’
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘इस उद्देश्य के लिए सक्रिय व्यापार सहयोग और साझा परियोजनाओं को प्रोत्साहित करेंगे. बंदरगाह केंद्रों, नौका सेवाओं, तटीय जहाजरानी, ग्रिड कनेक्टिविटी और मोटर वाहनों की आवाजाही पर सहयोग प्रमुख हैं.’’ उन्होंने आतिथ्य सत्कार के लिए श्रीलंका के विदेश मंत्री प्रो. जी. एल. पेइरिस को धन्यवाद दिया.
विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें बुधवार को शिखर सम्मेलन में ‘चार्टर और मास्टर प्लान’ को अपनाए जाने की उम्मीद है. भारत और श्रीलंका के अलावा बिम्स्टेक के बांग्लादेश, म्यांमा, थाईलैंड, नेपाल और भूटान सदस्य हैं. बिम्स्टेक समूह के अध्यक्ष के रूप में श्रीलंका शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को बिम्स्टेक समूह के डिजिटल शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसमें सदस्य देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है.
जयशंकर सोमवार को कोलंबो पहुंचे और उन्होंने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. श्रीलंका को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत द्वारा आर्थिक राहत पैकेज देने के बाद से यह श्रीलंका की उनकी यह पहली यात्रा है.