Jammu Kashmir: नई कहानी लिख रहे हैं पाली पंचायत के लोग, पीएम मोदी ने घोषित की थी पहली कार्बन फ्री पंचायत
24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के अवसर पर पीएम मोदी जम्मू के सांबा जिले पहुंचे थे और उस ग्राम पंचायत को देश की पहली कार्बन मुक्त ग्राम पंचायत घोषित किया था.
Jammu Kashmir: जम्मू के सांबा जिले के जिस पाली पंचायत को देश की पहली कार्बन फ्री पंचायत घोषित किया गया था, वहां के लोग अब स्वर्णिम भारत की नई कहानी लिख रहे है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस गांव में 18 दिनों के रिकॉर्ड समय में 500 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया लगाया गया था. जिसने अब न केवल पल्ली पंचायत बल्कि आसपास के पंचायतों की भी दिशा और दशा बदल दी है.
इसी साल 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू के सांबा जिले पहुंचे थे. जम्मू के सांबा जिले की एक छोटी सी पल्ली पंचायत, जिसका नाम शायद ही कोई जानता था लेकिन प्रधानमंत्री के दौरे के बाद यह पल्ली पंचायत देशभर के लिए मिसाल बन कर खड़ी हो गई है. दरअसल इसी पल्ली पंचायत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पहली कार्बन फ्री पंचायत घोषित की और यहां पर करीब 340 घरों को रोशन करने के लिए इस गांव में 500 किलो वाट का एक सोलर प्लांट लगाया गया, जो रिकॉर्ड 18 दिन में तैयार किया गया.
पहले कितने घंटे आती थी बिजली?
इस गांव में सोलर पावर प्लांट लगने के बाद न केवल इस गांव के आम लोग बल के यहां पर खेती कर रहे किसान और यहां तक कि यहां के छात्र भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद कर रहे हैं. पल्ली गांव के सरपंच रणधीर शर्मा की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले इस गांव में बिजली ना के बराबर थी. रणधीर शर्मा के मुताबिक इस गांव में 24 घंटों में से कुछ घंटे ही बिजली आती थी लेकिन जो बिजली आती थी उसमें वोल्टेज की इतनी दिक्कत रहती थी कि इस गांव के लोग कोई काम नहीं कर पाते थे.
पीएम मोदी ने क्या सौगात दी थी?
उनके मुताबिक इस गांव का मूल बिजली ढांचा इतना खराब था कि बिजली में कोई दिक्कत होने के बाद कई कई दिनों तक इस गांव में बिजली ठीक नहीं होती थी. लेकिन आप रणधीर शर्मा दावा कर रहे हैं कि जब से नरेंद्र मोदी ने इस गांव को 500 किलो वाट सोलर प्लांट की सौगात दी है तब से यहां के लोग शहर से ज्यादा बिजली पा रहे हैं और बिजली के मूलभूत ढांचे को जिस तरह से सुधारा गया तब से अब तक यहां के लोगों को बिजली से संबंधित कोई परेशानी नहीं हुई.
किस पर पड़ता था बिजली न आने का प्रभाव?
इस गांव में बिजली ना होने से सबसे ज्यादा असर गांव के छात्रों की पढ़ाई पर पड़ता था. वोल्टेज के दिक्कत और अक्सर बिजली की अनियमित कटौती के चलते यहां के छात्र और छात्राएं मोमबत्तियां जलाकर पढ़ने को मजबूर थे, इसी गांव के छात्र आयुषी शर्मा और स्पर्श शर्मा की माने तो अप्रैल महीने से पहले वह ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाते थे और उनका अधिकतर समय या तो बिजली के ट्रांसफार्मर के पास बीता या फिर वह मोमबत्ती के सहारे पढ़ाई करते थे. लेकिन अब उनकी माने तो अप्रैल महीने के बाद न केवल वो बल्कि पल्ली पंचायत के सभी छात्र बेहतर ढंग से पढ़ाई कर रहे हैं,
क्या बोले गांव के सरपंच?
बिजली के अनियमित कटौती और वोल्टेज की दिक्कत के चलते यहां के किसानों को सिंचाई में भी बड़ी दिक्कत आती थी. गांव के लंबरदार मदनलाल की माने तो अप्रैल महीने से पहले यहां के किसानों को किसानों को खेती में बड़ी दिक्कतें आती थी और यह दिक्कत खासतौर पर खेतों में सिंचाई को लेकर आती थी. उनकी माने तो अब यहां के किसानों ने भी सोलर प्लांट से सिंचाई के मोटरों के कनेक्शन लिए है, जिससे यहां को खेती आसान हो गई है.
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