Kejriwal ने Mann को CM candidate बनाया तो शराब का मुद्दा उछला, लेकिन इस पर इतनी हिपोक्रेसी क्यों है?
शराब को लेकर समाज की राय बंटी हुई है. एक बड़ा तबका इसे बिल्कुल ग़लत मानता है. वहीं, एक और बड़ा तबका है जो खुलकर या छुपकर शराब पीता है और इसका आनंद लेता है. हाल ही में इसे लेकर बहस तब शुरू हुई जब भगवंत मान को पंजाब में आम आदमी पार्टी का सीएम पद उम्मीदवार बनाया गया. दरअसल, शराब को लेकर एक विवाद भगवंत मान से जुड़ा हुआ है और अब उसी को उछाला जा रहा है. मान ने 2019 में शराब नहीं पीने की कसम खाई थी, इसके बावजूद उस विवाद को उछाला जा रहा है. सोसायटी का हाल ऐसा है कि आम आदमी भी शराब पिए तो उसको टेढ़ी नज़रों से देखा जाता है. मान तो फिर भी नेता हैं. ऐसे में ज़ाहिर सी बात है उनकी आलोचना अलग से होगी. लेकिन अभी हम इसपर बात करेंगे कि शराब पीना अगर ग़लत है तो आख़िर क्यों? बात इसपर भी होगी कि राजनीतिक पार्टियों का शराब को लेकर डबल स्टैंडर्ड क्यों होता है? बात तो इस पर भी होगी की नीति निर्माता जब शराब को लेकर पॉलिसी बनाते हैं तो कुछ सोचते भी हैं या नहीं?
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