Bhagat Singh Birthday: महात्म गांधी-नेहरू चाहते तो फांसी से बच जाते भगत सिंह, क्या है दावे का सच?
आज भगत सिंह का जन्म दिन है. लेकिन जब भी भगत सिंह की चर्चा होती है तो ये चर्चा उनके जन्मदिन से ज्यादा उनकी शहादत वाले दिन से होती है. क्योंकि भारतीय इतिहास में भगत सिंह इकलौते ऐसे क्रांतिकारी हैं, जिन्होंने अपनी मौत को खुद डिजाइन किया था. 17 दिसंबर, 1928 को पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या और 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम धमाके का दोषी करार देते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी. वो चाहते तो अपने मुकदमे की पैरवी के लिए वकील कर सकते थे, लेकिन न तो सांडर्स की हत्या की सुनवाई के लिए और न ही सेंट्रल असेंबली में बम धमाके की सुनवाई के लिए उन्होंने कोई वकील किया और इस तरह से उन्होंने अपनी नियति को खुद चुना. लेकिन बार-बार एक सवाल उठता है कि महात्मा गांधी और नेहरू चाहते तो भगत सिंह की फांसी रुक सकती थी. उन्हें बचाया जा सकता था. तो क्या वाकई ऐसा था, बता रहे हैं अविनाश राय.