असम में बाढ़ की जिम्मेदार ब्रह्मपुत्र में इतना पानी आता कहां से है?
हर साल की तरह इस साल भी पूर्वोत्तर का राज्य असम बाढ़ से तबाही झेल रहा है. अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 28 जिलों के करीब 23 लाख लोग इस बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ कितनी भयावह है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जानवरों को भी बचने की जगह नहीं मिल रही है. अकेले काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही 6 गैंडे समेत करीब 140 जानवरों की मौत हो चुकी है. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी असम जाकर बाढ़ पीड़ितों से मिल चुके हैं. लेकिन कब तक. आखिर इतनी भयानक बाढ़, इसकी वजह से लोगों की मौत और लाखों लोगों का विस्थापन ही असम की नियति क्यों है. आखिर ऐसा है क्या असम में कि सरकार चाहे जो भी हो, वो न तो इस बाढ़ को रोक सकती है और न ही इस बाढ़ से होने वाली तबाही को. क्या इसकी वजह महज राजनीतिक है या फिर इसकी वजह भौगोलिक है, जिसे बदलना दुनिया की किसी भी सरकार के हाथ में नहीं है. आखिर क्या है असम में हर साल आने वाले बाढ़ की असली कहानी जिसका एक सिरा पड़ोसी तिब्बत से जुड़ता है तो दूसरा भारत के ही एक राज्य अरुणाचल से और दोनों ही मिलकर इस असम राज्य में हर साल इतनी तबाही मचाते हैं कि उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलता है, बता रहे हैं अविनाश राय.