क्या तेल की बढ़ी कीमतों के लिए मनमोहन सिंह के ऑयल बॉन्डस हैं जिम्मेदार, यूपीए का कर्जा चुका रहे पीएम मोदी?
यूं तो 30 पैसे-35 पैसे बेहद ही छोटी रकम होती है. इतनी छोटी कि इसके सिक्के भी दशकों पहले गायब हो गए थे. लेकिन 30-30 पैसे-35-35 पैसे बढ़ते-बढ़ते तेल की कीमत इतनी बढ़ गई कि पेट्रोल की कीमत 100 के पार है. डीजल 100 पार होने वाला है और घरेलू गैस सिलिंडर के दाम हजार तक पहुंचने वाले हैं. और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी तेल की कीमतें बढ़ रही हैं तो तय है कि आने वाले दिनों में कीमतें तो कम नहीं ही होंगी. और सरकार का तर्क है कि वो पेट्रोल-डीज़ल से एक्साइज कम नहीं कर सकती है, क्योंकि मोदी सरकार को मनमोहन सरकार का लिया हुआ कर्ज भरना है. तो क्या सच में नरेंद्र मोदी से पहले देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इतना कर्ज ले लिया था कि उसे चुकाने के लिए पीएम मोदी को तेल के दाम इतने बढ़ाने पड़ गए हैं. या फिर मोदी सरकार अपना खजाना भरने के लिए तेल के दाम लगातार बढ़ाती जा रही है, विस्तार से बता रहे हैं अविनाश राय.
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