अपने सबसे कमज़ोर दौर में हैं पुतिन?
येवगेनी प्रिगोझिन रूस में जो तख़्तापलट करने निकले थे उसकी तुरंत हवा निकल गई. लेकिन हवा निकलने से पहले येवगेनी की भाड़े की फौज वैगनर वाले रूस की राजधानी मॉस्को को लगभग छूकर लौटे. लौटते हुए येवगेनी ने मोरल हाई लिया कि गृहयुद्ध छोड़कर वो रूसियों का ख़ून नहीं बहाना चाहते थे. लेकिन मास्को तक मार्च के दौरान उनकी भाड़े की फौज ने सात रूसी एयरक्राफ्ट मार्च गिराए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन सात एयरक्राफ्ट्स गिराए जाने में रूस के 13 एयरमेन की जानें चली गईं. मतलब रूसी ख़ूब तो बहा वो भी रूस की ज़मीन पर. एनालिस्ट्स का कहना है कि ये काम तो एक साल से ज़्यादा चले युद्ध में यूक्रेन भी नहीं कर पाया. ऊपर से हैरत की बात ये है कि रॉस्टव से मॉक्सो के लिए निकले वैगनर वालों को रूसी की सेना की तरफ से किसी रेजिस्टेंस का सामना नहीं करना पड़ा. जिस दिन ये सब अपनी पीक पर था उस दिन पुतिन ने देश के नाम एक संबोधन दिया जिसमें उन्होंने येवगेनी का नाम तक नहीं लिया. उन्होंने वैगनर के कदम को राजद्रोह बताते हुए इसे कुचलने का आदेश दिया. और अंत में येवगेनी और वैगनर के साथ कॉम्प्रोमाइज कर लिया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या व्लादिमीर पुतिन अपने सबसे कमज़ोर दौर में हैं? #BinMangaGyan