भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर, जो मुख्यमंत्री रहते घर गए तो पिता घर छोड़कर चले गए
भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को लेकर जितनी सच्ची कहानियां हैं, उतनी ही किंवदंतियां. और इन्हीं सच्चाई और किंवदंतियों के बीच कर्पूरी ठाकुर के पूरे जीवन और उनके काम को लेकर एक किताब आई है, जिसका नाम है The Jannayak Karpoori Thakur: Voice of the Voiceless. इसको लिखा है वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह और आदित्य अनमोल. इस किताब में बिहार में जातीय संघर्ष की तो कहानियां हैं हीं, इस किताब में विस्तार से जिक्र है कर्पूरी ठाकुर के काम का, उनके संघर्ष का, उनकी मौत की साजिश और उसके सच का और उनकी विरासत का. इस किताब के जरिए कर्पूरी ठाकुर को विस्तार से समझने, समझाने और आज के दौर में कर्पूरी की जरूरतों को रेखांकित करते हुए देखिए इस किताब के लेखक संतोष सिंह के साथ अविनाश राय की ये लंबी बातचीत.
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