जम्मू-कश्मीर में पूरी ताकत से चुनाव क्यों नहीं लड़ी बीजेपी?
ऐसा लगता है कि जो बीजेपी हर छोटे-बड़े चुनाव को बड़ी गंभीरता से लेती है, जो बीजेपी हर छोटे-बड़े चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक देती है, जो बीजेपी किसी भी चुनाव में अपने छोटे से छोटे कार्यकर्ता और बड़े से बड़े नेता तक को मैदान में उतार देती है, जो बीजेपी चुनाव जीतने की सबसे बड़ी मशीनरी है, वही बीजेपी जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से गंभीर नहीं है. और वो भी तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा कार्यकाल ही पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर पर ही फोकस रहा है. वो बात चाहे धारा 370 को हटाने की हो या फिर जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन की हो या फिर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जम्मू-कश्मीर की छवि सुधारने को लेकर हो, मोदी सरकार ने इसपर खूब काम किया. लेकिन जब बारी चुनाव लड़ने की आई तो बीजेपी ने 90 में से महज 62 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे. तो आखिर बीजेपी के सामने ऐसी क्या मजबूरी है कि वो जम्मू रीजन की तो सभी 43 की 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन घाटी की 47 में महज 19 सीटों पर ही वो ताल ठोकती नज़र आ रही है. आखिर वो कौन सी वजह है, जिसने बीजेपी को घाटी में उम्मीदवार न उतारने पर मज़बूर कर दिया है, बता रहे हैं अविनाश राय.