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क्यों हर साल हज़ारों नेपाली नागरिक बनते हैं भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट का हिस्सा ? | ABP Uncut
रपोक बनने से बेहतर है मर जाना..."Better to die than be a coward". ये Moto या ध्येय वाक्य है गोरखा रेजिमेंट का... उस गोरखा रेजिमेंट का, जिसके जवानों की जन्मभूमि तो Nepal है, लेकिन वो भारत के लिए अपनी जान देने को भी तैयार होते हैं और दुश्मनों की जान लेने को भी. जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका खास हथियार खुखरी अगर एक बार म्यान से बाहर आ जाए, तो वो बिना खून चखे म्यान में अंदर नहीं जाती है. और अगर 18 इंच लंबी इस खुखरी को दुश्मन का खून नहीं मिलता है तो जवान अपने खून से ही अपने हथियार की प्यास बुझाते हैं. यही वजह है कि इस रेजिमेंट की बहादुरी से दुनिया की नाक में दम करने वाला China भी परेशान रहता है. लेकिन ऐसी आखिर कौन सी वजह है कि नेपाल के ये गोरखा अपने देश की सेना में शामिल होने की बजाय भारत की सेना में शाामिल होते हैं और इस गोरखा रेजिमेंट का ब्रिटिश आर्मी से क्या है कनेक्शन, इसी पर मिलेगा आपको आज का बिन मांगा ज्ञान.
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